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इधर जेलर ने रूमाल गिराया और उधर फट से फांसी.., जल्लाद ने बताया कैसे होती है मृत्युदंड की तैयारी

By रोहित कुमार पोरवाल | Updated: December 14, 2019 10:58 IST

उत्तर प्रदेश के मेरठ से खानदानी तौर पर जल्लादी के पेशे में शामिल पवन कुमार को फांसी देने के लिए चयनित किया गया है। पवन कुमार ने फांसी देने की सिहरन पैदा करने वाली तैयारियों के बारे में मीडिया को बताया।

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ठळक मुद्देनिर्भया गैंगरेप-हत्याकांड के चारों दोषियों को फांसी दिए जाने की तैयारियों का तिहाड़ जेल के महानिदेशक जायजा ले चुके हैं।राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज होने और अदालत से डेथ वारंट मिलने के बाद दोषियों को फांसी दी जाएगी।

निर्भया गैंगरेप-हत्याकांड के दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की संभावनाओं के मद्देनजर देश में महौल गर्म है। चारों दोषियों को तिहाड़ जेल की सिंगल सेल में रखा गया है। तिहाड़ में दोषियों को फांसी दिए जाने की तैयारियां हो रही हैं और जेल के महानिदेशक समेत वरिष्ठ अधिकारियों ने भी तैयारियों का जायजा ले लिया है। इधर खबर यह भी है कि निर्भया के दोषी अवसाद में हैं और उन्होंने भोजन-पानी कम कर दिया है। दोषियों को फांसी देने के लिए जल्लाद और रस्सियों का प्रबंध हो गया है। 

उत्तर प्रदेश के मेरठ से खानदानी तौर पर जल्लादी के पेशे में शामिल पवन कुमार को फांसी देने के लिए चयनित किया गया है। कुछ यूट्यूब और समाचार चैनलों को दिए साक्षात्कार में फांसी देने की सिहरन पैदा करने वाली तैयारियों के बारे में पवन कुमार ने जिक्र किया।

पवन कुमार, पवन जल्लाद के तौर पर भी मशहूर हैं और वह साक्षात्कार में यह बयां कर चुके हैं इस नाम से पुकारे जाने पर बुरा नहीं मानते हैं। संक्षेप में उनका परिचय यही है कि उनका परिवार सन 1951 से जल्लादी का काम संभाल रहा है। परदादा, दादा और पिता भी जल्लादी के पेशे में थे। दादा कालूराम ने इंदिरा गांधी के हत्यारों को फांसी के फंदे पर लटकाया था। परिवार अब तक 25 से ज्यादा फांसी देने का काम कर चुका है।

इशारों में होती है सारी कार्रवाई

पवन कुमार ने समाचार चैनल आजतक को दिए साक्षात्कार में बताया कि जिस दिन फांसी दी जानी होती है उसके पहले रातभर जल्लाद भी नहीं सो पाता है। फांसी से पहले जेलर, जल्लाद और उन सिपाहियों के बीच बैठक होती है जो फांसी के वक्त मौजूद रहते हैं। बैठक में पूरी प्रक्रिया को सिलसिलेवार अंजाम देने की योजना के बारे में चर्चा होती है। 

यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि दोषियों को फांसी देने की दौरान जेलर से लेकर सिपाही तक कोई भी शख्स, जो प्रक्रिया में शामिल रहेगा, वह मुंह से बोलेगा नहीं, सिर्फ इशारों में बात होगी। 

3 बजे कैदी को जगा दिया जाता है

पवन कुमार के मुताबिक, फांसी देने का वक्त सुबह 6 बजे, 7 बजे या कहीं-कहीं 9 या साढ़े नौ बजे भी होता है। आमतौर पर सुबह 6 बजे फांसी दी जाती है। इसके लिए कैदी को तीन बजे जगा दिया जाता है। चार बजे तक उसे नहाने के लिए कहा जाता है। धर्म के अनुसार उसे पूजा-पाठ करने दी जाती है। हिंदू कैदी को गीता पढ़ने के लिए दी जाती है और मुस्लिम कैदी को कुरान। सुबह फांसी देने का रिवाज इसलिए हैं कि अगर कैदी के परिजन उसका शव ले जाना चाहें तो सारा काम समय से निपट जाए। परिजन अगर शव लेने से मना करते हैं तो कैदी के धर्म के अनुसार जेल उसका अंतिम संस्कार करा देता है।

पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी के तख्त तक कैदी के हाथ पीछे से इसलिए बांधकर लाते हैं ताकि उसे लाने वाले सिपाहियों की उससे सुरक्षा रहे। हाथ पीछे होने पर धक्का-मुक्की की आशंका नहीं रहती है।

कैदी को फांसी के तख्त पर लाते ही उसके पैर बांध दिए जाते हैं। स्टैंड कैदी को खड़ा करने के लिए चॉक से घेरा बनाया जाता है। 

पूरी प्रक्रिया के दौरान जेल अधीक्षक, छोटा जेलर, डॉक्टर, चारों तरफ सिपाही और जल्लाद मौके पर होता है। 

इसलिए पहनाया जाता है कैदी को काला टोपा

पवन जल्लाद ने बताया कि टोपा पहनाने की दो वजहें हैं। पहली यह के जब वह फांसी के फंदे पर लटके तो उसके गले में रस्सी का निशान न पड़े और दूसरी वजह यह है कि टोपा डालने पर कैदी कुछ देख नहीं सकता। ऐसा होने पर उसके द्वारा हिल-डुलकर सिपाही को धक्का मारने की आशंका नहीं रहती है।

पवन कुमार के मुताबिक, पहले जूट का रस्सियां आती थीं तो उन्हें फांसी के लिए काफी तैयार करना पड़ता है। अब फांसी की रस्सी बिहार के बक्सर की जेल और पुणे में तैयार की जाती है। जोकि सफेद होती है और पहले से ही तैयार आती है। 

जेलर के रूमाल गिराते ही जल्लाद खींच देता है लीवर

पवन कुमार के मुताबिक, जल्लाद सारी तैयारी करने के बाद जेल अधीक्षक को थंब्स अप करके इशारा करता है और उधर जेलर रूमाल गिराकर फांसी के तख्त का लीवर खींचने का इशारा जल्लाद को कर देता है। जेलर जैसे ही रूमाल गिराता है, इधर जल्लाद फट से लीवर खींच देता है। 

पवन कुमार ने बताया कि मौके पर मौजूद डॉक्टर जब कैदी की मृत्यू होने की घोषणा करता है तो उसे उतार लिया जाता है। इसके बाद नियम के मुताबिक, आगे की कार्रवाई होती है। 

पवन कुमार ने बताया कि जिस जगह फांसी दी जाती है, उसका नक्शा किसी को नहीं बताया जा सकता है, यह जेल के नियम के खिलाफ है।

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