Nirbhaya Case: तीसरी बार फांसी टली, कोर्ट ने कहा- जब दोषी भगवान से मिलें तो उनके पास न हो कोई शिकायत का मौका

By अनुराग आनंद | Published: March 3, 2020 08:58 AM2020-03-03T08:58:48+5:302020-03-03T08:58:48+5:30

निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि अपने ही दिए फैसले में अमल करने में इतना समय क्यों लग रहा है? जो हमारी कानून व्यवस्था है उसमें जो मुजरिम चाहता है वो ही होता है। ये हमारे सिस्टम की नकामी दिखाता है, पूरा समाज, पूरी दुनिया देख रही है।

Nirbhaya Case: the court said - When the guilty meet God, they do not have any chance to complain | Nirbhaya Case: तीसरी बार फांसी टली, कोर्ट ने कहा- जब दोषी भगवान से मिलें तो उनके पास न हो कोई शिकायत का मौका

निर्भया केस (फाइल फोटो)

Highlightsअडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने कहा कि दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका के निस्तारण तक मौत की सजा नहीं दी जा सकती।आशा देवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह हमारी व्यवस्था की नाकामी को दर्शाता है।

दिल्ली की एक अदालत ने 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में मृत्युदंड पाए चारों दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। यह रोक तबतक रहेगी जबतक कि दोषियों की दया याचिका पर फैसला नहीं हो जाता। चारों दोषियों को आज (मंगलवार) सुबह 6 बजे एक साथ फांसी दी जानी थी।

तीसरी बार फांसी को टालते समय कोर्ट ने कहा कि कोई दोषी जब अपने रचयिता (GOD) से मिले तो उसके पास किसी तरह की  शिकायत को मौका ना हो कि उसे सभी कानूनी विकल्प आजमाने की इजाजत नहीं मिली। ऐसे में कोर्ट ने दया याचिका को खारिज किए जाने तक के लिए डेथ वॉरेंट को टाल दी है। 

अडिशनल सेशन जज धर्मेंद्र राणा ने कहा कि दोषी पवन गुप्ता की दया याचिका के निस्तारण तक मौत की सजा नहीं दी जा सकती। जज ने कहा, 'पीड़ित पक्ष की तरफ से कड़े प्रतिरोध के बावजूद, मेरा विचार है कि किसी भी दोषी के मन में अपने रचयिता से मिलते समय ये शिकायत नहीं होनी चाहिए कि देश की अदालत ने उसे कानूनी उपायों का इस्तेमाल करने की इजाजत देने से रोक दिया।   

निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि अपने ही दिए फैसले में अमल करने में इतना समय क्यों लग रहा है? जो हमारी कानून व्यवस्था है उसमें जो मुजरिम चाहता है वो ही होता है। ये हमारे सिस्टम की नकामी दिखाता है, पूरा समाज, पूरी दुनिया देख रही है। इंसाफ से ज्यादा मुजरिमों का समर्थन होता है।

राष्ट्रीय राजधानी में 2012 में हुए सामूहिक बलात्कार एवं हत्याकांड की पीड़िता निर्भया की मां आशा देवी ने मामले के चार दोषियों को दी जाने वाली फांसी अगले आदेश तक टाले जाने के बाद सोमवार को कहा कि दोषी भले ही कुछ भी कर लें, उन्हें उनके अपराध के लिए फांसी दी जाएगी।

आशा देवी ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह हमारी व्यवस्था की नाकामी को दर्शाता है। पूरी दुनिया देख रही है कि भारत में कैसे न्याय में देरी की जा रही है।’’ दोषियों की फांसी तीसरी बार टाली गई है। उन्होंने कहा कि वह ‘‘हर दिन उम्मीद खोती हैं’’ लेकिन दोषी कुछ भी करें, उन्हें फांसी होकर रहेगी।

दिल्ली कोर्ट में दोषियों द्वारा डेथ वारंट पर रोक की याचिका पर दिल्ली गैंगरेप पीड़िता की मां आशा देवी ने कहा कि मैं 7साल 3 महीने से संघर्ष कर रही हूं। वो कहते हैं हमें माफ कर दो। कोई कहता है कि मेरे पति,बच्चे की क्या गलती है। मैं कहती हूं कि मेरी बच्ची की क्या गलती थी? 

बता दें कि उच्चतम न्यायालय 2012 के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले में फांसी की सजा का सामना कर रहे चार दोषियों में एक पवन कुमार गुप्ता की सुधारात्मक याचिका (क्यूरेटिव याचिका ) पर आज बंद कमरे में सुनवाई हुई।  न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ न्यायमूर्ति रमण के चैंबर में सुधारात्मक याचिका पर सुनवाई की।

पवन समेत तीन अन्य दोषियों को तीन मार्च को फांसी होने वाली है। लेकिन, ये कोर्ट के निर्णय के बाद ही तय हो पाएगा कि कल दोषियों को फांसी होना है या नहीं होना है।  पवन ने अपराध के समय खुद के नाबालिग होने का दावा करते हुए फांसी को उम्रकैद में बदलने का अनुरोध किया था । पवन ने वकील ए पी सिंह के जरिए सुधारात्मक याचिका दाखिल कर मामले में अपीलों और पुनर्विचार याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को खारिज करने का अनुरोध किया था।

वकील ए पी सिंह ने कहा है कि उन्होंने रविवार को उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में एक अर्जी दाखिल कर खुली अदालत में पवन की सुधारात्मक याचिका पर मौखिक सुनवाई का अनुरोध किया था। दोषियों में केवल पवन के पास ही अब सुधारात्मक याचिका दायर करने का विकल्प बचा था। दक्षिणी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को चलती बस में एक छात्रा से सामूहिक बलात्कार की घटना हुई थी और दोषियों ने बर्बरता करने के बाद उसे बस से फेंक दिया था।

एक पखवाड़े बाद उसकी मौत हो गयी । पवन और एक अन्य दोषी अक्षय सिंह ने भी यहां निचली अदालत का रुख कर मृत्यु वारंट की तामील पर रोक लगाने का अनुरोध किया । निचली अदालत ने याचिकाओं पर तिहाड़ जेल प्रशासन को नोटिस जारी कर अधिकारियों को सोमवार तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अक्षय ने दावा किया है कि उसने राष्ट्रपति के समक्ष नयी दया याचिका दाखिल की है जो कि लंबित है, जबकि पवन ने कहा है कि उसने उच्चतम न्यायालय के समक्ष सुधारात्मक याचिका दाखिल की है । 
 

Web Title: Nirbhaya Case: the court said - When the guilty meet God, they do not have any chance to complain

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