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बच्चियों को दी जाती थी नशे की सूई और फिर कराया जाता था उनसे देह व्यापार

By एस पी सिन्हा | Updated: November 23, 2018 09:29 IST

बच्चियों को नशे की सूई देने के आरोप में गिरफ्तार अश्विनी कुमार ने बालिका गृह में तैनात एक महिला चिकित्सक का नाम बताया है. सीबीआई उसके इस नए खुलासे का सत्यापन कर रही है. महिला चिकित्सक के नाम और पते के सत्यापन के बाद वरिष्ठ अधिकारियों का निर्देश मिलते ही उसकी गिरफ्तारी भी की जाएगी.

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पटना, 23 नवंबर: बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित बालिका अल्पवास गृह की बच्चियों को नशे की सूई दी जाती थी. यह खुलासा सीबीआई के जांच में हुआ है. बच्चियों को नशे की सूई देने के आरोप में गिरफ्तार अश्विनी कुमार ने बालिका गृह में तैनात एक महिला चिकित्सक का नाम बताया है. सीबीआई उसके इस नए खुलासे का सत्यापन कर रही है. महिला चिकित्सक के नाम और पते के सत्यापन के बाद वरिष्ठ अधिकारियों का निर्देश मिलते ही उसकी गिरफ्तारी भी की जाएगी.

फिलहाल, मिठनपुरा स्थित कैंप कार्यालय में सीबीआई उससे गहन पूछताछ कर रही है. आरोपी अश्विनी ने कहा है कि इस कांड के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर से उसका जुड़ाव था. बालिका गृह की बच्चियों की देख-रेख के लिए वहां एक महिला चिकित्सक तैनात थी. उसने उक्त चिकित्सक का नाम और पता भी सीबीआई को बताया है. उसने कहा कि नशे की सूई देने का आरोप लगा कर उसे इस मामले का आरोपित बना दिया गया है. पुलिस और सीबीआई कई बार उसके घर और अन्य ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है.

वह ससुराल पहुंचा था, जहां से उसे गिरफ्तार किया गया. ब्रजेश ठाकुर से मधुर संबंध वाले अफसरों के नाम बताए पूछताछ में उसने सीबीआई को सब कुछ बता दिया है. वहीं, सूत्रों के मुताबिक, सेवा संकल्प एवं विकास समिति की कर्ताधर्ता रही मधु ने सीबीआई को पूछताछ में समाज कल्याण विभाग के उन अफसरों के नाम बताए हैं, जिनसे ब्रजेश ठाकुर के मधुर संबंध रहे थे. मधु से पूछताछ के लिए सीबीआई ने एक एक्सपर्ट टीम का गठन किया है. उससे सीबीआई ब्रजेश ठाकुर के एनजीओ की फंडिंग, बालिका गृह के संचालन में गड़बड़ी, वहां आने-जाने वालों के नाम आदि जानना चाहती है.

इधर, मधु ने उठाए ये सवाल - आखिर जांच एजेंसी इसके लिए जिम्मेवार बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है? -अगर बच्चियों के साथ इतने दिनों से शोषण हो ही रहा था, तो इसके देख-रेख और जांच के लिए तैनात प्रशासनिक अधिकारी क्या कर रहे थे? - हर माह बालिका गृह की बच्चियों के रहन-सहन और उनकी स्थिति का आकलन किया जाता था. 2013 से अब तक कई बार यहां के प्रशासनिक अधिकारियों ने बालिका गृह का एग्रीमेंट बढ़ाने के लिए अनुशंसा की. आखिर बगैर जांच के ही अनुशंसा कैसे हो गई? -अगर किसी ने ऐसा किया तो उस पर क्यों नहीं कार्रवाई हो रही है? - मुजफ्फरपुर ही नहीं, अन्य जिलों के बालिका गृह में भी इस तरह की घटनाएं हुई है. वहां क्यों नहीं कार्रवाई हो रही है?

टॅग्स :मुजफ्फरपुर बालिका गृह बलात्कार मामला
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