बिहार: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की 49 पीड़ितों को मुआवजा दिया गया, सरकार ने एनएचआरसी को जानकारी दी
By विशाल कुमार | Published: January 30, 2022 03:28 PM2022-01-30T15:28:07+5:302022-01-30T15:30:52+5:30
साल 2018 में मुजफ्फरपुर आश्रयगृह में 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न का मामला मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की सोशल ऑडिट में प्रकाश में आया था। उसके बाद बिहार के सामाजिक कल्याण विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी जिसमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर भी शामिल था।
पटना:बिहार सरकार ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह मामले के 49 पीड़ितों को 3 लाख से 9 लाख रुपये का मुआवजा दिया है। राज्य सरकार ने हाल ही में अपनी कार्रवाई रिपोर्ट में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को सूचित किया है।
साल 2018 में मुजफ्फरपुर आश्रयगृह में 34 लड़कियों के यौन उत्पीड़न का मामला मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस की सोशल ऑडिट में प्रकाश में आया था। उसके बाद बिहार के सामाजिक कल्याण विभाग ने एक प्राथमिकी दर्ज की थी और 10 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था जिसमें मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर भी शामिल था जिसका एनजीओ आश्रयगृह संचालित करता था।
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की करीब 110 निजी और सरकारी आश्रय गृहों की स्थिति पर रिपोर्ट सामने आने के बाद एक दर्जन से अधिक केस दर्ज किए गए और बाद में मामला सीबीआई को सौंप दिया गया।
बिहार सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मुजफ्फरपुर महिला पुलिस थाना मामले (33/2018) पर की गई कार्रवाई की रिपोर्ट भेजी गई थी, जिसमें ब्रजेश ठाकुर सहित 19 लोगों को दिल्ली की एक अदालत ने 2020 में दोषी ठहराया था।
एनएचआरसी की वेबसाइट के अनुसार, आयोग ने 29 नवंबर, 2018 को मामले में एक शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया था। आयोग के अलावा, नई दिल्ली के साकेत ट्रायल कोर्ट ने भी पीड़ितों को योग्यता के आधार पर मुआवजे की सिफारिश की थी।
आयोग को यह भी बताया गया कि मुजफ्फरपुर बालिका गृह चलाने वाले एनजीओ का पंजीकरण रद्द कर दिया गया है और जिस परिसर में वह स्थित है, उसे अदालत के आदेश के अनुसार ध्वस्त कर दिया गया है।