मुजफ्फरपुर कांड: आरोपी ब्रजेश ने बनवा रखा था रेडलाइट में कैदखाना, 25 करोड़ की संपत्ति का खुलासा
By पल्लवी कुमारी | Published: August 10, 2018 08:59 AM2018-08-10T08:59:58+5:302018-08-10T08:59:58+5:30
Muzaffarpur shelter case Updates:मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर के खिलाफ सीबीआई ने कार्रवाई की है। सीबीआई ने ब्रजेश ठाकुर के बैंक अकाउंट को सीज कर दिया है। साथ ही सीबीआई ब्रजेश ठाकुर के बाकी संपत्तियों की भी जांच कर रही है।
पटना, 10 अगस्त:बिहार के मुजफ्फरपुर और उत्तर प्रदेश के देवरिया शेल्टर होम में चल रहे यौन शोषण के मामले से पूरे देश में सनसनी फैल गई है। आए दिन इस मामले में एक के बाद एक कई खुलासे किए जा रहे हैं। मुजफ्फरपुर मामले में मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर और मधु की गिरफ्तारी होने के बाद कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं।
केस की सीबीआई जांच के मुताबिक पता चला है कि ब्रजेश के पास तकरीबन 25 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। सीबीआई को यह बात रिकॉर्ड के मुताबिक पता चला है। सीबीआई के अनुसारा अभी तक के जांच से तो यही लग रहा है कि उसके पास अथाह संपत्ति है, जिसकी जांच की जा रही है। सीबीआई ने ब्रजेश ठाकुर के बैंक अकाउंट को सीज कर दिया है।
सीबीआइ की टीम ने ब्रजेश की संपत्ति का पता लगाने के लिए निबंधन विभाग से संपर्क किया था। जिसके बाद वहां से 25 करोड़ से अधिक की संपत्ति के रिकॉर्ड मिले है। वहीं, दूसरी ओर ब्रजेश की संस्थाओं और उनके बेटा, बेटी व पत्नी के बैंक अकाउंटों की भी सीबीआई जांच कर रहा है। सीबीआई ने इसके लिए शहर के कई बैंकों के साथ संपर्क किया है। इसके साथ ही ब्रजेश के रिश्तेदारों की संपत्ति का भी रिकॉर्ड निकाल जा रहा है। निबंधन कार्यालय ने ब्रजेश की संपत्ति के बारे में 50 पेज का ब्योरा सीबीआई को सौंपा है।
इस मामले में यह भी खुलासा हुआ है कि ब्रजेश का लालटेनपट्टी (रेडलाइट एरिया) में एक घर भी था। यह घर बिल्कुल कैदखाने की तरह बना हुआ था। इस मकान के सबसे ऊपरी तल पर वामा शक्ति वाहिनी का कार्यालय चलता था। ये घर जिस तरीके से बना हुआ था कि बाहर से इसमें रह रही लड़कियों का घर तक पता नहीं चलता था। लोग बताते हैं कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की लड़कियों को इसमें रखा जाता था।
क्या है पूरा मामला
टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टीआईएसएस), मुम्बई द्वारा अप्रैल में राज्य के समाज कल्याण विभाग को सौंपी गई एक ऑडिट रिपोर्ट में यह मामला सबसे पहले सामने आया था।
बालिका गृह में रहने वाली 42 में से 34 लड़कियों के चिकित्सकीय परीक्षण में उनके साथ यौन उत्पीड़न की पुष्टि हुई है। एनजीओ ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ द्वारा चलाए जा रहे बालिका गृह का मालिक बृजेश ठाकुर इस मामले में मुख्य आरोपी है। इस मामले में 31 मई को 11 लोगों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। ठाकुर समेत 10 लोगों को तीन जून को गिरफ्तार किया गया था। एक व्यक्ति फरार है।
बिहार पुलिस ने 26 जुलाई को इन आरोपियों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) की अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था। राज्य सरकार ने 26 जुलाई को इसकी जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी और बाद में सीबीआई ने इसकी जांच राज्य पुलिस से अपने हाथ में ले ली थी।
यौन उत्पीड़न कांड का खुलासा होने के बाद से पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने राज्य के मुख्य सचिव से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए संबंधित विभागों के परामर्श के साथ संस्थागत प्रणालियां विकसित करने को कहा है। उन्होंने कहा, “यह जरूरी है क्योंकि समाज में सभी तरह के लोग रहते हैं और वे एक छोटा सा मौका मिलते ही गलत काम में शामिल हो सकते हैं।”
(भाषा इनपुट)
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