बिहार में महादलित वर्ग के लोगों को अंग्रेजी सिखाने के नाम पर हुआ पैसे का बंदरबांट, जांच के बाद केस दर्ज
By एस पी सिन्हा | Published: July 17, 2020 08:10 PM2020-07-17T20:10:34+5:302020-07-17T20:10:34+5:30
बिहार महादलित विकास मिशन को बाकी ट्रेड में ट्रेनिंग के अलावा स्पोकेन इंग्लिश का कोर्स भी कराना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
पटना: बिहार के महादलित वर्ग के लोगों को अंग्रेजी सिखाने के मामले में हुए हेरफेर को लेकर निगरानी ब्यूरो ने कई अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. महादलित विकास मिशन को बाकी ट्रेड में ट्रेनिंग के अलावा स्पोकेन इंग्लिश का कोर्स भी कराना था.
उसने इसका जिम्मा ब्रिटिश लिंगुआ को दिया. जांच में यह बात सामने आई कि ब्रिटिश लिंगुआ को जिम्मा देने में खासी गडबडी हुई है. ब्रिटिश लिंगुआ ने पैसे तो ले लिए लेकिन किसी को अंग्रेजी नहीं सिखा पाया.
यह कोर्स वस्तुत: कागजों में ही चला. प्राप्त जानकारी के अनुसार निगरानी की जांच में कई रोचक तथ्य सामने आए हैं. मसलन, मिशन के अनुसार 14826 प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण दिया गया. जबकि जांच में पता चला कि प्रशिक्षणार्थी, एक ही समय में दो अलग-अलग ट्रेड एवं सत्र में रहे.
एक ही नाम-पता के प्रशिक्षणार्थियों को दो क्रमांक से एक ही बैच में प्रशिक्षण दिया गया. उनकी उपस्थिति में हस्ताक्षर भी अलग-अलग पाए गए.
विजिलेंस के इंस्पेक्टर संजीव कुमार द्वारा दर्ज प्राथमिकी के अनुसार अंग्रेजी सिखाने के नाम पर मिशन महादलित विकास मिशन के पदाधिकारियों और ब्रिटिश लिंगुआ के निदेशक ने आपसी मेलजोल से भ्रष्टाचार किया.
यह जांच महादलित विकास मिशन के अंतर्गत महादलित वर्ग के लोगों को विभिन्न योजनाओं के विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण कराए जाने के कार्यक्रम से संबंधित था.
प्राथमिकी के अनुसार महादिलत विकास मिशन द्वारा विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण संचालित करने के लिए अभिरुचि की अभिव्यक्ति प्राप्त करने के लिए 4 अक्टूबर 2011 को समाचार पत्रों में विज्ञापन निकाला गया. इसमें 20 ट्रेड का नाम था, जिसमें एक स्पोकन इंग्लिश भी था.
ब्रिटिश लिंगुआ के निदेशक डॉ. बीरबल झा द्वारा मिशन के पदाधिकारियों व अन्य के साथ मिलकर षड्यंत्र किया गया. फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए. वित्तीय वर्ष 2012-13, 13-14, 14- 15 एवं 2015-16 तक ब्रिटिश लिंगुआ द्वारा लगभग 73013309 रुपये विभिन्न चेक के माध्यम से प्राप्त किया गया.
इस मामले में आईएएस एसएम राजू (अभी निलंबित) के अलावा 3 रिटायर आईएएस अफसरों को आरोपी बनाया गया है.
ये हैं-राघवेंद्र झा, राज नारायण लाल और रामाशीष पासवान. इन सभी ने महादलित विकास मिशन का निदेशक रहते हुए ब्रिटिश लिंगुआ को भुगतान की अनुशंसा की.
तत्कालीन राज्य परियोजना पदाधिकारी श्रीमती देव जानी कर, ओएसडी अनिल कुमार सिन्हा, मिशन को-ऑर्डिनेटर शशि भूषण सिंह, ओएसडी हरेंद्र श्रीवास्तव, सहायक मिशन निदेशक वीरेंद्र चौधरी तथा ब्रिटिश लिंगुआ के निदेशक डॉ. बीरबल झा को आईपीसी की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत नामजद किया किया गया है.