शिमला: हिमाचल प्रदेश चिकित्सा उकरण खरीद घोटाले मामले में निलंबित स्वास्थ्य निदेशक अजय कुमार गुप्ता को सशर्त जमानत मिली है। अदालत ने उसे यह भी निर्देशित किया कि वह किसी भी गवाह को न तो प्रभावित करे और न ही बात करे। इसके अलावा, आरोपी को जांच एजेंसी द्वारा आवश्यक होने पर उसे जांच में शामिल होना होगा।
अजय कुमार गुप्ता को चिकित्सा खरीद घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। न्यायालय ने उन्हें प्रत्येक जमानत पर 2 लाख रुपये के जमानतदार और व्यक्तिगत मुचलके पर जमानत दी है।
शनिवार को पांच दिन का रिमांड पूरा होने पर विजिलेंस ने आरोपित को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट में आरोेपित पक्ष और विजिलेंस के वकीलों के बीच तीखी बहस हुई।
दलील दी गई कि विजिलेंस के पास पांच दिन की न्यायिक हिरासत और पांच दिन का पुलिस रिमांड मिलाकर दस दिन का पर्याप्त समय था। कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद आरोपित को सशर्त जमानत दे दी है।
हालांकि विजिलेंस की ओर से गुप्ता के 5 दिन के रिमांड की मांग की गई थी लेकिन जिला सत्र न्यायाधीश ने ये कह कर उनकी मांग को ख़ारिज कर दिया कि 10 दिनों में उन्होंने गुप्ता से क्या पूछताछ की। इसे लेकर वे शाम तक वे विजिलेंस को समय दे सकते है।
ऑडियो क्लिप के अलावा विजिलेंस के पास गुप्ता के ख़िलाफ़ क्या सबूत है। इस पर विजिलेंस कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई। थोड़ी देर ब्रेक लेने के बाद सत्र न्यायाधीश ने अजय गुप्ता को ज़मानत दे दी। जाहिर है आरोपी डॉ. अजय कुमार गुप्ता की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई आज यानी 30 मई तक के लिए टाल दी थी।
आरोपी गुप्ता के वकील कश्मीरी सिंह ठाकुर की ओर से जिला एंव सत्र न्यायालय में पिछले मंगलवार को जमानत याचिका दाखिल की गई थी और उस पर आज सुनवाई हुई।