MP Ki Taja Khabar: बिना अनुमति धरना देने पर मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी समेत कांग्रेस के 4 नेताओं पर मामला दर्ज
By भाषा | Published: June 14, 2020 04:23 AM2020-06-14T04:23:08+5:302020-06-14T04:23:08+5:30
पुलिस के अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश में धरने के लिए कांग्रेस नेताओं द्वारा कोई अनुमति नहीं ली गयी थी। इसी वजह से यह कार्रवाई की गई है।
इंदौर: शहर के राजबाड़ा क्षेत्र में बिना प्रशासनिक अनुमति के धरना देने को लेकर मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी समेत कांग्रेस के चार नेताओं के खिलाफ पुलिस ने यहां शनिवार को आपराधिक मामला दर्ज किया। मामले के आरोपियों में पटवारी समेत कांग्रेस के तीन विधायक और शहर कांग्रेस अध्यक्ष शामिल हैं।
सर्राफा पुलिस थाने की प्रभारी अमृता सोलंकी ने कहा, ‘‘कुल जमा चार लोगों द्वारा इस धरने के लिये प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली गयी थी। इस कारण पटवारी और उनके साथ धरने पर बैठे दो अन्य कांग्रेस विधायकों-विशाल पटेल तथा संजय शुक्ला तथा शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 188 (किसी सरकारी अधिकारी का आदेश नहीं मानना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है।’’
कांग्रेस नेताओं ने पटवारी की अगुवाई में ऐतिहासिक राजबाड़ा के सामने इंदौर के पूर्व होलकर राजवंश की शासक देवी अहिल्या बाई होलकर की प्रतिमा के समक्ष धरना दिया था। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि कोविड-19 के प्रकोप से निपटने में राज्य सरकार नाकाम रही है और जनता को उसके हाल पर छोड़ दिया गया है।
एसडीएम ने घुटने टेक कर नेताओं से कांग्रेस नेताओं को धरना तोड़ने का किया आग्रह-
इस बीच, चारों कांग्रेस नेताओं के सामने घुटने टेक कर उनसे धरना खत्म करने की मान-मनुहार करना एक अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को महंगा पड़ा है। चश्मदीदों के मुताबिक एसडीएम राकेश शर्मा राजबाड़ा स्थित धरनास्थल पर पहुंचे और घुटने टेक कर पटवारी तथा दो अन्य कांग्रेस विधायकों से बात की।
प्रशासनिक अफसर ने इसी मुद्रा में कांग्रेस विधायकों से अनुरोध किया कि वे धरना खत्म कर दें। वह इन नेताओं से बातचीत के वक्त उनके सामने बार-बार हाथ भी जोड़ रहे थे। इस वाकये का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद जिलाधिकारी मनीष सिंह ने एसडीएम को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे पूछा है कि उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कदम क्यों न उठाये जाए?
नोटिस में कहा गया है, "राजबाड़ा क्षेत्र में बिना अनुमति धरना दे रहे जन प्रतिनिधियों के समक्ष जाकर एसडीएम द्वारा जिस रूप में उनसे चर्चा की गयी है, वह एक कार्यपालक मजिस्ट्रेट की पदीय गरिमा व आचरण के साथ ही प्रशासनिक अनुशासन के भी अनुरूप नहीं है। इस कृत्य से प्रशासन की छवि धूमिल हुई है।" भाजपा के कई नेताओं ने भी एसडीएम के आचरण पर आपत्ति जतायी है।