पीएसीएल चिट फंट स्कैम मामले में गुरुवार को केन्द्रीय जाँच ब्यूरो यानी सीबीआई ने 11 लोगों को गिरफ्तार किया है। बता दें कि पीएसीएल (PACL) को 2015 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने प्रतिबंधित कर दिया था। चिट फंड कंपनी पीएसीएल ने अवैध रूप करीब 58 मिलियन निवेशकों से करीब 49,100 करोड़ रुपये एकत्रित किए थे, जिसके बाद सेबी ने यह कदम उठाया था।
निवेशकों के पैसे लौटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बनाई थी कमेटी
साल 2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति आर.एम. लोढ़ा के नेतृत्व में पीएसीएल की संपत्ति का निपटान करने और निवेशकों के पैसे वापस करने के लिए एक समिति का गठन किया था। समिति ने 8 फरवरी 2019 को एक प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से पीएसीएल निवेशकों से रिफंड के लिए ऑनलाइन आवेदन जमा करने को कहा था।
कई निवेशकों के लौटाए जा चुके हैं रुपये
इससे पहले जुलाई में पीएसीएल चिट फंट कंपनी के डायरेक्टर को भी सीबीआई के द्वारा गिरफ्तार किया गया था। सेबी ने 27 अप्रैल 2021 को कहा था कि पीएसीएल लिमिटेड के 1,270,849 निवेशकों को, जिनका दावा 10,000 रुपये तक का था, उनको 31 मार्च 2021 तक कुल 438 करोड़ रुपये लौटा दिए गए हैं।
1997 में दर्ज किया गया था पीएसीएल के खिलाफ पहला केस
बता दें कि पीएसीएल पर सबसे पहला केस 1997 में सेबी ने दर्ज किया था। कंपनी के कामकाज को संदेहास्पद मानते हुए सेबी ने ये केस दर्ज किया था और 2003 में सेबी राजस्थान हाईकोर्ट से कंपनी के खिलाफ केस जीत गई थी। दोगुना पैसे के लालच में निवेशकों ने कई वर्षों तक अपनी गाड़ी कमाई को जमा कराया था।