बिहारः अब बालगृह में लड़कों के यौन शोषण का खुलासा, होती हैं ऐसी ज्यादतियां
By एस पी सिन्हा | Published: July 28, 2018 06:33 PM2018-07-28T18:33:54+5:302018-07-28T18:33:54+5:30
इसमें मोतिहारी, भागलपुर, मुंगेर और गया में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित बालगृह शामिल हैं। इन सभी जगहों पर विभाग और सीआईडी के निर्देश पर मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
पटना, 28 जुलाईःबिहार के मुजफ्फरपुर और छपरा में स्थित बालिका अल्पवास गृह में हुई बच्चियों के यौन शोषण का मामला अभी गर्म ही है कि एक नया खुलासा हो गया है। राज्य में स्थित विभिन्न बाल गृहों में लडकों (बालकों) के यौन शोषण के मामले सामने आए हैं। राज्य के बाल गृहों में बालकों के यौन शोषण और अन्य अनियमितताओं के मामले सामने आने के बाद एक नया बवाल सामने आ गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इसका खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टिस) के सामाजिक अंकेक्षण (सोशल ऑडिट) में हुआ है। इसमें मोतिहारी, भागलपुर, मुंगेर और गया में समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित बालगृह शामिल हैं। इन सभी जगहों पर विभाग और सीआईडी के निर्देश पर मामला दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है।
समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से संचालित प्रदेश के बाल और बालिका गृहों की सोशल ऑडिट कराने के लिए टिस, मुंबई की कोशिश टीम का चयन किया गया था। इसी टीम ने मुजफ्फरपुर बालिका गृह में यौन उत्पीड़न की घटना को उजागर किया। साथ ही गया, मुंगेर, भागलपुर व मोतिहारी के बाल गृहों में बच्चों के साथ मारपीट, यौन शोषण और हिंसा की घटनाओं का उल्लेख किया है। मोतिहारी में संचालित ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम्स का संचालन निर्देश संस्था कर रही थी।
यहां रहने वाले लडकों ने गृह संचालक पर मारपीट और यौनशोषण का आरोप लगाया है। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग और सीआईडी के निर्देश पर मोतिहारी जिले के छतौनी में दो जून, 2018 को जेजे एक्ट और पॉक्सो एक्ट में मामला दर्ज किया गया। यहां के गृह संचालक श्याम बाबू सिंह को निष्कासित कर दिया गया है. उनकी गिरफ्तारी का प्रयास किया जा रहा है।
इस तरह के आरोप अन्य बाल गृहों पर भी लगा है, जिसमें गया जिला ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम, गया डीओआरडी की ओर से संचालित है। वहां के अधिकारियों पर बच्चों को हमेशा ताला बंद कर रखने और महिला स्टाफ द्वारा बच्चों से जबरन काम कराने का आरोप लगाया गया। इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज की गई है। जबकि मुंगेर का बाल गृह ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम संस्था की ओर से संचालित था। बच्चों ने संस्था के अधिकारियों पर जबरन काम कराने, खाना बनाने, सफाई कराने आदि का आरोप लगाया था। इस संबंध में समाज कल्याण विभाग और सीआईडी के निर्देश पर मुंगेर कोतवाली में 23 जुलाई को जेजे एक्ट में मामला दर्ज किया गया है।
वहीं, भागलपुर में ब्वॉयज चिल्ड्रेन होम रूपम प्रगति समाज समिति की ओर से संचालित थी। वहां के बच्चों ने जांच के क्रम में अधिकारियों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाया। इस संबंध में भागलपुर औद्योगिक थाने में 18 जुलाई, 2018 को जेजे एक्ट में मामला दर्ज कर जांच शुरू की गई। जिन कर्मियों पर बच्चों ने आरोप लगाया था, उन सभी को वहां से हटाया जा चुका है।
यहां उल्लेखनीय है कि प्रदेश सरकार का समाज कल्याण विभाग अनाथ, बेसहारा, सडक पर रहने वाले बच्चे और बालू मजदूरी या मानव व्यापार से मुक्त कराये गये बच्चों के संरक्षण के लिए काम करता है। इन बच्चों के लिए विभिन्न जिलों में छह से 18 साल के आयु वर्ग के बालक व बालिकाओं के लिए बाल गृह संचालित किये जा रहे हैं। इन बाल गृहों का संचालन राज्य सरकार की ओर से स्वयं और स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से किया जा रहा है. बाल गृहों के संचालन के लिए सरकार द्वारा स्वयंसेवी संस्थाओं को कुल निर्धारित बजट का 90 फीसदी अनुदान के रूप में दिया जाता है। स्वयंसेवी संस्थाओं का चयन राज्य सरकार की ओर से निविदा प्रकाशित कर किया जाता है।
समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सोशल ऑडिट की समीक्षा की स्थायी व्यवस्था के लिए मानक प्रक्रिया और मानक मापदंड यूनिसेफ और टिस के सहयोग से विकसित किये जा रहे हैं। सभी बालिका और बाल गृहों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने का निर्देश दिया गया है। इसके तहत बालिका और बाल गृहों में सुरक्षा के लिए किन्नर समुदाय को नियुक्त करने का निर्देश दिया गया है। सोशल ऑडिट में पायी गयी खामियों की समीक्षा विशेषज्ञों की टीम से करवा कर उसे दूर किया जायेगा और पुख्ता व्यवस्था की जायेगी।
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