पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली की आने वाली आत्मकथा 'अ सेंचुरी इज नॉट एनफ' से एक के बाद एक खुलासों का सामने आना जारी है। इस किताब में गांगुली ने बताया है कि कैसे पूर्व भारतीय कोच ग्रेग चैपल की वजह से जब वह कुछ समय के लिए टीम से बाहर हुए तो उनके पिता चाहते थे कि वह संन्यास ले लें। गांगुली ने कहा कि टीम से बाहर होने के बाद वह वापसी के लिए कड़ा संघर्ष कर रहे थे और उनके पिता के लिए अपने बेटे को इस संघर्ष से हो रही तकलीफ असहनीय थी। चैपल के कोच रहने के दौरान गांगुली के न सिर्फ अपनी कप्तानी गंवानी पड़ी थी बल्कि कुछ समय के लिए वह टीम इंडिया से भी बाहर हो गए थे।
गांगुली ने लिखा है कि अपने संन्यास की घोषणा से कुछ महीने पहले 2008 में ईरानी ट्रॉफी के लिए शेष भारत की टीम से बाहर होने के बाद भी वह 'गुस्से' में थे और उनका 'मोहभंग' हो गया था। इस फैसले से गांगुली को पता चल गया कि चयनकर्ता उनके भविष्य के बारे में क्या सोचते हैं। गांगुली इस बात से इतने परेशान थे कि उन्होंने तब के कप्तान अनिल कुबंले को कॉल करके पूछ ही लिया कि आखिर क्यों उन्हें टीम से बाहर किया गया।
गांगुली ने किताब में लिखा है, 'मैंने उनसे सीधा पूछा, क्या उन्हें (कुंबले) लगता है कि मैं उनकी प्लेइंग इलेवन के लिए अब एक स्वाभाविक विकल्प नहीं रहा। कुंबले-इतने सज्जन थे कि ऐसा लगता था कि मेरे फोन कॉल से हमेशा शर्मिंदा हो जाते थे। उन्होंने कहा कि दिलीप वेंगसरकर की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने टीम चुनने के लिए उनकी सलाह नहीं ली थी।' (पढ़ें: जब सौरव गांगुली के आखिरी टेस्ट में धोनी ने सौंप दी थी कप्तानी, तब 'दादा' ने क्या किया था!)
इसके बाद गांगुली ने कुंबले से एक और सवाल पूछा, 'क्या उन्हें अब भी लगता है कि उनकी टीम अब भी उनकी सेवाएं चाहती है?' कुंबले के जवाब ने उन्हें संतुष्ट किया। कुंबले ने कहा कि अगर टीम चुनने के दौरान उनसे पूछा जाएगा तो वह आने वाली सीरीज के लिए गांगुली का नाम जरूर लेंगे। कुंबले के इस जवाब से गांगुली ने राहत की सांस ली। गांगुली ने इसके बाद खुद को साबित करने के लिए घरेलू क्रिकेट खेले और बेहद कम चर्चित जेपी अत्री मेमोरियल ट्रॉफी में खेले।
इसके बाद जल्द ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मैचों के लिए भारतीय टीम घोषित कर दी गई। इसमें सौरव गांगुली का नाम भी शामिल था। टेस्ट टीम के साथ ही बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन की टीम भी घोषित की गई थी। इस टीम को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में अभ्यास मैच खेलना था। गांगुली ने लिखा है, 'बोर्ड प्रेसिडेंट इलेवन में आम तौर पर प्रतिभाशाली युवाओं की प्रतिभा परखने या फिर जिन सीनियर खिलाड़ियों का टेस्ट करियर अनिश्चित होता है उनका आकलन किया जाता है। मुझे भी इस टीम में शामिल किया था। इस टीम को कृष्णामचारी श्रीकांत की अध्यक्षता वाली नई चयन समिति के नेतृत्व में चुना गया था।' लेकिन इस चयन समिति का माइंडसेट भी पिछली समिति से अलग नहीं था। संदेश एकदम साफ था-100 से ज्यादा टेस्ट खेलने वाले एक अनुभवी-निश्चित तौर पर सौरव गांगुली-फिर से ट्रायल पर थे।'
गांगुली ने लिखा है, 'इससे मुझे बहुत गुस्सा आया। और मैंने अपने पिता से कहा कि अब बहुत हो गया और मुझे संन्यास लेने की जरूरत है। मेरे पिता थोड़ा हैरान हुए। अतीत में जब ग्रेग चैपल ने मुझे टीम से बाहर किया था और मैं टीम में वापसी के लिए जबर्दस्त मेहनत कर रहा था, वह चाहते थे कि मैं रिटायर हो जाऊं। वह अपने बेटे के संघर्ष की तकलीफ सह नहीं पा रहे थे।'
गांगुली ने लिखा है, 'तब मैंने इसका विरोध किया था। मैंने उनसे कहा, बापी (पिता), आप रुकिए। मैं वापस आऊंगा। मेरे अंदर अभी भी क्रिकेट बचा हुआ है। जब मैं बूढ़ा होऊं तो मैं नहीं चाहता कि सोफे पर बैठकर खुद से कहूं, सौरव, जब मुश्किल समय था, तब तुमने हार मान ली थी। तुम्हें और कड़ी मेहनत करनी चाहिए थी। मैं हर हाल में उस परिस्थिति पर जीत हासिल करना चाहता था।'नसौरव ने लिखा है, 'इसलिए जब तीन साल बाद वही आदमी खुद संन्यास ले रहा था, तो वह हैरान थे।'
गांगुली ने इसके बाद कुंबले से भी बात की और कुंबले ने कहा कि वह कोई भी फैसला जल्दबाजी में न लें। उन्होंने कहा, 'मैंने उन्होंने आश्वस्त किया लेकिन मुझे अंदर से पता चल चुका था कि मेरा समय पूरा हो चुका है। मैंने मन में सोच लिया कि इस सीरीज में सफल होने के लिए मैं अपना सबकुछ झोंक दूंगा।'
अपनी आखिरी सीरीज के प्रदर्शन के बारे में गांगुली ने लिखा है, 'क्रिकेट इतिहास में दर्ज है कि मेरी आखिरी सीरीज शानदार रही। मोहाली में एक शतक और नागपुर में दूसरे टेस्ट में मामूली अंतर से शतक से चूकना।' गांगुली ने इस किताब में अपने आखिरी टेस्ट की उस घटना का जिक्र भी किया है, जब धोनी ने मैदान पर उनके आखिरी पलों में कप्तानी ऑफर की थी। गांगुली ने कहा कि मैंने पहली बार उनका ऑफर ठुकरा दिया लेकिन दूसरी बार मना नहीं कर पाया। आखिरकार अपने आखिरी टेस्ट में कुछ ओवरों के लिए गांगुली ने एक बार फिर से भारत की कप्तानी की थी।