चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेलने का मलाल?, ऋषभ पंत बोले-बचपन से मेरा एक ही सपना था, भारत की तरफ से खेलना, आईपीएल नहीं

बचपन से मेरा एक ही सपना था, भारत की तरफ से खेलना। मैंने कभी आईपीएल में खेलने के बारे में नहीं सोचा।

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: March 11, 2025 15:55 IST2025-03-11T15:54:44+5:302025-03-11T15:55:45+5:30

Rishabh Pant said Regretful not playing Champions Trophy Since childhood I only one dream play for India never thought playing IPL | चैंपियंस ट्रॉफी में नहीं खेलने का मलाल?, ऋषभ पंत बोले-बचपन से मेरा एक ही सपना था, भारत की तरफ से खेलना, आईपीएल नहीं

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Highlightsमुझे लगता है कि लोग आज आईपीएल पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। आप इस तरह की बड़ी सोच रखते हैं तो सफलता आपका अनुसरण करेगी।निश्चित रूप से मेरी फिटनेस में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।

नई दिल्लीः भारत के विकेटकीपर बल्लेबाज ऋषभ पंत का मानना ​​है कि इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) के प्रति आकर्षण स्वाभाविक है लेकिन युवा क्रिकेटरों को देश का प्रतिनिधित्व करने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि उसके बाद चीजें स्वयं ही अनुकूल होती जाएंगी। पंत चैंपियंस ट्रॉफी जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा थे हालांकि उन्होंने एक भी मैच नहीं खेला। उन्होंने 2017 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण किया था। पंत ने जिओ हॉटस्टार से कहा, ‘‘बचपन से मेरा एक ही सपना था, भारत की तरफ से खेलना। मैंने कभी आईपीएल में खेलने के बारे में नहीं सोचा।

मुझे लगता है कि लोग आज आईपीएल पर अधिक ध्यान दे रहे हैं। निश्चित तौर पर यह बहुत बड़ा मंच है लेकिन मेरा मानना है कि अगर आपका लक्ष्य देश की तरफ से खेलना है तो चीजें अनुकूल होती जाएंगी और इनमें आईपीएल भी शामिल है।’’ इस 27 वर्षीय खिलाड़ी ने कहा, ‘‘यदि आप इस तरह की बड़ी सोच रखते हैं तो सफलता आपका अनुसरण करेगी।

मैं हमेशा सोचता था कि मुझे एक दिन भारत की तरफ से खेलना है और ईश्वर के आशीर्वाद से मुझे 18 साल की उम्र में यह मौका मिला और मैं इसके लिए आभारी हूं।’’ पंत को अपनी आक्रामक बल्लेबाजी के लिए जाना जाता है और उनका ट्रेडमार्क शॉट एक हाथ से छक्का लगाना है। ऐसा करने में अक्सर बल्ला उनके हाथ से छूट जाता है।

पंत ने बताया कि ऐसा क्यों होता है। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे लगता है कि अक्सर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि मेरे निचले हाथ की ग्रिप ढीली होती है। मैं अपने निचले हाथ का उपयोग केवल थोड़ा मदद के लिए करता हूं लेकिन कभी-कभी यह हावी हो जाता है। इसलिए मैं अपने ऊपरी हाथ की ग्रिप को कसकर रखता हूं।’’

पंत ने कहा, ‘‘जब गेंद बहुत अधिक बाहर या शॉर्ट पिच हो तो शॉट लगाना आसान नहीं होता है। इस तरह के शॉट खेलने में सफलता की दर 30 या 40 प्रतिशत हो सकती है लेकिन मैच की परिस्थितियों को देखते हुए मैं यह जोखिम लेने के लिए तैयार रहता हूं। मेरी मानसिकता इसी तरह की है।’’ पंत ने कहा कि वह बचपन में जिमनास्टिक से जुड़े हुए थे जिसका एक क्रिकेटर के रूप में उन्हें फायदा मिला।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं बचपन में जिमनास्टिक करता था। मेरे जिमनास्टिक कोच हमेशा मुझसे कहते थे कि यह जीवन में बहुत काम आएगा। भारतीय टीम के हमारे ट्रेनर बासु सर ने एक बार मुझसे कहा था कि अपने जिम्नास्टिक कोच को धन्यवाद देना क्योंकि उन्होंने बचपन में जो कुछ भी आपको सिखाया था उसका आज भी आपको फायदा मिल रहा है। ’’ पंत ने कहा, ‘‘मैं हैंड स्प्रिंग्स का अभ्यास करता रहा और इसने निश्चित रूप से मेरी फिटनेस में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है।’’

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