हैदराबाद, 27 सितंबर। मैच फिक्सिंग के कारण कभी आजीवन प्रतिबंध झेलने वाले पूर्व भारतीय कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन को शुक्रवार को हैदराबाद क्रिकेट संघ (एचसीए) का अध्यक्ष चुना गया। अपने जमाने के कलात्मक बल्लेबाज को एचसीए चुनाव में 173 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी प्रकाश चंद जैन ने 73 मत हासिल किए। इस जीत से अजहर ने क्रिकेट प्रशासन में नयी पारी का आगाज किया। चुनाव जीतने के बाद अजहरुद्दीन ने एचसीए के कल्याण के लिए काम करने की शपथ ली।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर क्रिकेट का विकास होगा तो संघ (एचसीए) का विकास होगा। अगर संघ सही रहेगा तो हर कोई खुश रहेगा। संघ पिछले कुछ समय से अच्छा काम नहीं कर रहा है। अब ये साफ है कि हम आगे बढ़ेंगे।’’ अजहर ने एचसीए चुनावों की निगरानी करने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त वी.एस संपत की तारीफ की।
उन्होंने कहा, ‘‘अगर (दो साल पहले) चुनाव निष्पक्ष चुनाव होते तो मेरा नामांकन रद्द नहीं होता। संपत सर ने नियम और कानून का पालन किया जिससे की सही तरीके से चुनाव संभव हो पाये।’’ अजहरुद्दीन ने कहा, ‘‘ इन चुनावों में कोई परेशानी नहीं आयी। मैं सदस्यों और सचिवों का आभारी हूं कि उन्होंने मुझे अध्यक्ष चुना।’’
अन्य निर्वाचित पदाधिकारियों में जान मनोज (उपाध्यक्ष), आर विजयानंद (सचिव) और नरेश शर्मा (संयुक्त सचिव) शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से सांसद रहे 56 वर्षीय अजहर लंबे समय तक भारत के कप्तान रहे। नब्बे के दशक में उनकी अगुवाई में भारत ने इंग्लैंड, श्रीलंका और जिम्बाब्वे को घरेलू श्रृंखलाओं में हराया था। लेकिन यह पूर्व कप्तान 2000 में मैच फिक्सिंग में फंस गया।
आंध्र उच्च न्यायालय ने हालांकि फैसला दिया कि उनके खिलाफ जांच सही तरह से नहीं की गयी थी। भारत की तरफ से 99 टेस्ट और 334 वनडे खेलने वाले अजहरुद्दीन ने पिछले सप्ताह अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन भरा था। अजहरुद्दीन को 1980 के दशक के बीच में और 90 के दशक तक का भारतीय टीम का सबसे कलात्मक बल्लेबाज माना जाता है।
उन्होंने अपने टेस्ट करियर का आगाज इंग्लैंड के खिलाफ लगातार तीन मैचों में शतक लगाकर किया था। कलाई के जादूगर माने जाने वाले अजहरुद्दीन ऑफ स्टंप के बाहर की गेंद का भी कलाई के सहारे सहजता से डीप मिड-विकेट की ओर खेल लेते थे।
टीम की जर्सी में कालर ऊंचा कर के चलने का उनका अपना निराला अंदाज था। बल्लेबाजी के दम पर कई बार टीम मुश्किल परिस्थिति से बाहर निकालने वाले अजहर अपने जमाने के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षकों में भी शामिल थे। उन्होंने तीन एकदिवसीय विश्व कप (1992, 1996, 1999) में भारतीय टीम का नेतृत्व किया जबकि एस. वेंकटराघवन (1975, 1979) और महेन्द्र सिंह धोनी (2011, 2015) को दो बार ही यह गौरव मिला।