जासूसी के आरोप में 8 साल काटी पाकिस्तान की जेल में सजा, वतन वापसी पर लगे 'हिंदुस्तान जिंदाबाद' के नारे

कानपुर के शमसुद्दीन पाकिस्तान की जेल में 8 साल काटने के बाद अपने वतन वापस लौट हैं...

By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: November 17, 2020 12:52 PM

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ठळक मुद्देपाकिस्तान की जेल में 8 साल काटने के बाद भारत लौटे शमसुद्दीन।जासूसी के आरोप में किया गया था गिरफ्तार।घर लौटकर शमसुद्दीन बोले- वतन की मिट्टी में दफन होने का मिला मौका।

पाकिस्तान घूमने की इच्छा एक शख्स के लिए सबसे बड़ी भूल बन गई। इस शख्स को जासूसी के आरोप में 8 साल पड़ोसी मुल्क में सजा काटनी पड़ गई, जिसके बाद उसे बेकसूर साबित किया जा सका।

साल 1992 में गए थे पाकिस्तान

ये कहानी है शमसुद्दीन की, जो आज 70 साल के हो चुके हैं, लेकिन अपनी जिंदगी का एक बड़ा हिस्सा कैदियों की तरह जेल में बिता चुके हैं। साल 1992 में शमसुद्दीन अपने एक परिचित के साथ 90 दिन के विजिट वीजा पर पाकिस्तान गए थे। साल 1994 में उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता भी मिल गई, लेकिन 2012 में उनके साथ कुछ ऐसा हुआ, जिसका कभी सोचा तक ना था। पाकिस्तान की पुलिस ने शमसुद्दीन को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया और कराची की जेल में बंद डाल दिया।

शमसुद्दीन साल 1992 में पाकिस्तान गए थे।

यादगार बन गई दिवाली

शमसुद्दीन के लिए यह दिवाली हमेशा यादगार के लिए यादगार बन गई। रविवार (15 नवंबर) आखिरकार वापस अपने वतन लौटने का उनका सपना जो साकार हो गया। 26 अक्तूबर को अटारी-वाघा सीमा के रास्ते भारत आए शमसुद्दीन महामारी के मद्देनजर जरूरी प्रोटोकोल के कारण अमृतसर में पृथक-वास अवधि गुजारने के बाद रविवार को कानपुर पहुंचे। घर पहुंचने पर परिवार के लोगों, रिश्तेदारों तथा पास-पड़ोस के लोगों ने उनका बेहद गर्मजोशी से स्वागत किया।

वापसी की उम्मीद छोड़ चुके थे परिजन

कानपुर के कंघी मोहाल इलाके के रहने वाले शमसुद्दीन की वापसी की उम्मीद छोड़ चुके परिजन अपने बड़े-बुजुर्ग को अपने बीच पाकर अपनी भावनाएं नहीं रोक सके और लिपट कर रोने लगे। उन्होंने कहा कि इस बार की दीवाली उन्हे सारी जिंदगी याद रहेगी।

साल 2012 में शमसुद्दीन को जासूसी के शक में जेल में डाल दिया गया था।

'मैं बहुत खुशकिस्मत हूं जो अपने वतन लौट आया'

वतन वापस लौटकर शमसुद्दीन काफी भावुक नजर आए। उन्होंने कहा, "मैं बहुत खुशकिस्मत हूं जो अपने वतन लौट आया। हिंदुस्तान की मिट्टी में मेरे पूर्वज दफन हैं और मुझे भी इसी मिट्टी में दफन होने का मौका मिलेगा। पाकिस्तान में भारतीय नागरिकों के साथ अच्छा बर्ताव नहीं किया जाता। मैं पाकिस्तान में चप्पल की कारीगरी का काम करता था। दोनों मुल्कों के सियासी मामलों की वजह से भारत-पाकिस्तान के नागरिकों को शक की नजर से देखा जाता है। मेरी दोनों मुल्कों की सरकारों से अपील है कि नाजायज तरीके से यहां परेशान किया जाए और ना ही वहां परेशान किया जाए।"

टॅग्स :पाकिस्तानइंडियाकानपुर

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