जोंटी रोड्स ने तोड़ी साउथ अफ्रीका क्रिकेट में रंगभेद पर चुप्पी, कहा, 'अगर गोरा नहीं होता तो टीम में नहीं मिलती जगह'

Jonty Rhodes: दक्षिण अफ्रीका के पूर्व क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने कहा है कि औसत आंकड़ों के बावजूद गोरे होने की वजह से मिली थी टीम में जगह

By अभिषेक पाण्डेय | Published: January 23, 2020 2:03 PM

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ठळक मुद्देजोंडी रोड्स ने कहा कि आज भी रंगभेद दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट की प्रमुख समस्या हैरोड्स ने कहा कि वंचित समुदाय के युवाओं को मौका न दे पाना सबसे बड़ी नाकामी

पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने उनके देश में खेलों और खासतौर पर क्रिकेट में हावी नस्लवाद पर पहली बार चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि उनके औसत आंकड़ों के बावजूद रंगभेद की वजह से ही उन्हें दक्षिण अफ्रीकी टीम में चुना गया। 

रोड्स ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में कहा, 'मुझे निश्चित तौर पर इस बात का फायदा मिला कि मैं बाकी की 50 फीसदी आबादी के साथ प्रतिस्पर्धा नहीं कर रहा था।'

औसत आंकड़ों के बावजूद मैं चुना गया: जोंटी रोड्स

दुनिया के बेस्ट फील्डर में शुमार रहे 50 वर्षीय रोड्स ने कहा, 'मैं केवल गोरे खिलाड़ियों से प्रतिस्पर्धा कर रहा था। आप गोरे लोगों के विशेषाधिकार के बारे में बात करते हैं, जिससे सोशल मीडिया में जोरदार बहस होती है लेकिन यही सच्चाई है। मैं इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ हूं कि जब मैं टीम में चुना गया तो एक खिलाड़ी के तौर पर मेरे क्रिकेट के आंकड़े बहुत औसत थे।' 

दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय प्रतिनिधित्व का मुद्दा एक बार फिर से चर्चा में हैं, क्योंकि वह इंग्लैंड के खिलाफ पहले (सेंचुरियन) और दूसरे टेस्ट (केपटाउन) के दौरान ट्रांसफॉर्मेशन कोटा लक्ष्य से चूक गया। 

रोड्स ने कहा, 'अगर मैं बाकी देश के साथ प्रतिस्पर्धा कर होता तो शायद मेरा चयन नहीं होता और मैं मैदान के चारों तरफ डाइव नहीं लगा होता।'

वंचित समुदाय के युवाओं को मौका न देना गलती: रोड्स

रोड्स ने वंचित समुदायों के युवाओं को मौका देने के मामले में क्रिकेट टीम को रग्बी टीम से सखीने की सलाह दी। रोड्स ने कहा, 'मेरे लिए सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्यों हमने पिछले 20 सालों के दौरान वंचित समुदायों के युवाओं के लिए मौके पैदा नहीं किए। ये रंगभेद या नस्लवाद नहीं बल्कि बराबरी का हक देने की बात है, जो नहीं हो रहा है।'

रोड्स ने कहा, 'दक्षिण अफ्रीका में हमारी रंगभेद की विरासत रही है। इसे सुलझाने के लिए कितनी पीढ़िया लगती है? आपके पास अभी भी रंगभेद के आधार पर वंचित समुदाय हैं। इसलिए उनके पास राजनीतिक आजादी हो सकती है लेकिन उनके पास आर्थिक आजादी नहीं है।'

दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट बदलावों की समस्या से जूझ रह है!

दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट लंबे समय से ट्रांसफॉर्मेशन लक्ष्य से निपटने की चुनौती झेल रहा है। काइल एबॉट से लेकर डुआने ओलिवर जैसे कई प्रतिभाशाली खिलाड़ी दक्षिण अफ्रीका के लिए खेलने का सपना छोड़कर इंग्लिश क्रिकेट काउंटी से जुड़ चुके हैं।

इस प्रक्रिया से दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट में अनुभव और प्रतिभा के स्तर में भारी गिरावट देखने को मिल रही है और इसका नतीजा पिछले कुछ महीनों से उनके नतीजों में दिख रहा है। 

2019 की शुरुआत से ही दक्षिण अफ्रीका का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है और श्रीलंका के खिलाफ घरेलू टेस्ट सीरीज हारने के बाद आईसीसी वर्ल्ड कप के पहले दौर से बाहर हो गई। इसके बाद भारत दौरे पर टेस्ट सीरीज 0-3 से गंवाई। इंग्लैंड के खिलाफ जारी वर्तमान 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में भी वह 1-2 से पीछे है।

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