भारत ए टीम में चयन न होने पर निराश मनोज तिवारी ने कहा, 'मुझे भी हताशा होती है, मैं भी इंसान हूं'

Manoj Tiwary: पिछले सीजन में जोरदार प्रदर्शन के बावजूद भारत ए में न चुने जाने पर मनोज तिवारी ने निराशा जताई है

By अभिषेक पाण्डेय | Published: July 25, 2018 04:11 PM2018-07-25T16:11:56+5:302018-07-25T16:23:04+5:30

I was hoping to be picked in the India A squads, says Manoj Tiwary | भारत ए टीम में चयन न होने पर निराश मनोज तिवारी ने कहा, 'मुझे भी हताशा होती है, मैं भी इंसान हूं'

मनोज तिवारी

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नई दिल्ली, 25 जुलाई: बंगाल रणजी टीम के कप्तान मनोज तिवारी, हाल ही में दक्षिण अफ्रीका ए और ऑस्ट्रेलिया ए के खिलाफ होने वाली चार देशों की सीरीज के लिए घोषित किसी भी लिस्ट ए टीम में जगह न मिलने के फैसले से नाखुश हैं। 

तिवारी ने अपना चयन न होने पर निराशा जताते हुए Espncricinfo से कहा, 'मैं भारत ए टीम में अपने चयन की उम्मीद कर रहा था। अगर कोई अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है तो उसे सम्मान दिया जाना चाहिए। पिछले सीजन में 50 ओवर टूर्नामेंट में मेरा प्रदर्शन लाजवाब था, एक ऐसा रिकॉर्ड जो भारतीय क्रिकेट इतिहास में किसी ने नहीं बनाया। 

2017-18 घरेलू सीजन में तिवारी ने 126.70 की औसत से 507 रन बनाए, ये भारत में किसी एक घरेलू सीजन में लिस्ट-ए क्रिकेट में सबसे ज्यादा औसत का रिकॉर्ड है (400 रन)।  इसके अलावा वह विजय हजारे ट्रॉफी और देवधर ट्रॉफी दोनों में 100 की औसत से रन बनाने वाले पहले बल्लेबाज भी बने। इसका खुलासा प्रसिद्ध स्टैटिस्टिशन मोहनदास मेनन और मनोज तिवारी की बातचीत में हुआ।

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दाएं हाथ का ये स्टार बल्लेबाज इस साल हुई देवधर ट्रॉफी का हिस्सा था। विजय हजारे ट्रॉफी में उन्होंने 109.33 की औसत से 328 रन बनाए थे जबकि देवधर ट्रॉफी में उन्होंने इंडिया बी के लिए खेलते हुए 179 की औसत से 179 रन बनाए थे। दोनों लिस्ट ए टूर्नामेंट में उनका औसत 100 से ज्यादा था लेकिन चार देशों के टूर्नामेंट में चयन के लिए ये काफी साबित नहीं हुआ।


मनोज तिवारी को आखिरी बार भारत के लिए खेलने का मौका 2015 में जिम्बाब्वे के दौरे पर तीन वनडे मैचों की सीरीज में मिला था जिसमें उन्होंने 34 रन बनाए थे। उससे पहले उन्हें 2011-12 में वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज में चुना गया था। तब उन्होंने विंडीज के खिलाफ 104 रन की नाबाद पारी खेली थी लेकिन इसके बावजूद उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। 

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अपने उन कड़वे अनुभवों के बारे में मनोज तिवारी ने कहा, 'हालांकि मैं परिपक्व क्रिकेटर हूं लेकिन अतीत के कड़े अनुभव झटका देते हैं। भारत के लिए शतक बनाने के बाद, 14 मैचों के लिए मैं प्लेइंग इलेवन से बाहर था। इसे समझा जा सकता था कि क्योंकि ये भारतीय टीम थी। लेकिन आप भी हताश हो जाते हैं, मैं भी इंसान हूं।'

उम्र के सवाल पर दिया धोनी का हवाला

ये पूछे जाने पर कि इसकी वजह युवा खिलाड़ियों पर ध्यान देना हो सकता है तिवारी ने एमएस धोनी का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, 'दुनिया में हर कोई जानता है कि उम्र सिर्फ एक संख्या भर है। 32 साल की आयु में उम्र के लिए दरकिनार कर दिया जाना-ये एक वजह नहीं हो सकती। सबने आईपीएल में चेन्नई फ्रेंचाइजी की औसत आयु के बारे में एमएस धोनी का जवाब सुना।

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तिवारी ने कहा, 'धोनी ने खिलाड़ियों को देखा और उनका आकलना किया कि क्या वे मैदान में तेज हैं, क्या वह उनमें तेजी से गेंदों को पकड़ने की क्षमता है। खिलाड़ियों को इस तरह देखा जाना चाहिए। और जहां तक फिटनेस की बात है, मैं हमेशा इस पर खरा उतरा हूं। मैं नहीं जानता कि मुझे इसके लिए और क्या करना होगा, चयनकर्ताओं की तरफ से कोई स्पष्टता नहीं है। मुझे इसके बारे में उनसे सुनकर खुशी होगी। अगर मैं ये जान पाऊं कि मानदंड क्या हैं, तो निश्चित तौर पर मैं उसके अनुसार योजना बनाऊंगा।'

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