बीसीसीआई की प्रशासकों की समिति द्वारा बीसीसीआई के पदाधिकारियों से सभी कार्यकारी अधिकार छीनने के एक दिन बाद ही बीसीसीआई के कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी ने सीओए को एक कड़ा जवाबी पत्र लिखा है।
इससे पहले सीओए ने एक कड़ा कदम उठाते हुए बीसीसीआई के तीनों मुख्य पदाधिकारियों कार्यकारी अध्यक्ष सीके खन्ना, कार्यकारी सचिव अमिताभ चौधरी और ट्रेजरर अनिरुद्ध चौधरी के पर कतरते हुए उनसे सभी अधिकार छीन लिए थे। सीओए ने इन पदाधिकारियों को कोई भी मीटिंग करने, वर्किंग कमिटी या सिलेक्शन कमिटी की बैठकें करने या बिना पूर्व सहमति के कोई यात्रा करने पर रोक लगा दी थी।
सीओए के इस कदम पर पलटवार करते हुए अमिताभ चौधरी ने सीओए को पत्र लिखकर 2 जनवरी से उसके गठन के बाद से ही लिए गए निर्णयों पर सवाल उठाए हैं। चौधरी ने इस खत में लिखा है, 'सबसे बड़े मुद्दे सुधार को लागू करने बात करें तो 18 जुलाई के आदेश के बाद से मुझे नहीं याद है कि पिछले आठ महीनों में सीओए द्वारा सुधार के बारे में मुझे कोई मेल लिखा गया है।' (पढ़ें: सीओए ने बीसीसीआई को दिया झटका, अमिताभ चौधरी और सीके खन्ना समेत सभी अधिकारियों के अधिकार छीने)
चौधरी ने साथ ही जस्टिस लोढ़ा कमिटी की सिफारिशों के आधार पर बीसीसीआई में सुधारवादी कदम लागू करने के बजाय सीओए द्वारा बीसीसीआई सदस्यों को नीचा दिखाने का आरोप लगाया। उन्होंने कई पदों की नियुक्ति को लेकर बीसीसीआई पदाधिकारियों को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया।
चौधरी ने कहा कि सीओए ने जनरल मैनेजर (मार्केटिंग ऐंड डिजिटल कम्युनिकेशन), एनसीए के डायरेक्टर, एसीयू के प्रमुख आदि पदों पर बिना बीसीसीआई पदाधिकारियों को जानकारियां दिए ही नियुक्तिया कीं।
चौधरी ने इस खत में लिखा है कि सुधारवादी कदमों को लागू करने के लिए सीओए को बीसीसीआई पदाधिकारियों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।