जिम्बाब्वे के हेनरी ओलंगा से जब सचिन तेंदुलकर ने लिया था बदला....अजय जडेजा ने सुनायी 24 साल पुरानी रोचक कहानी

जिम्बाब्वे के स्टार तेज गेंदबार रहे हेनरी ओलंगा की एक गेंद पर आउट हो जाने के बाद सचिन तेंदुलकर ने कैसे दूसरे मैच में वापसी की थी, इसका रोचक किस्सा अजय जडेजा ने सुनाया है। बात 1998 की है।

By विनीत कुमार | Updated: August 21, 2022 13:40 IST

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ठळक मुद्देअजय जडेजा ने सुनाई 1998 की हेनरी ओलंगा और सचिन तेंदुलकर की भिड़ंत की कहानी।1998 में शारजाह में त्रिकोणीय श्रृंखला के दौरान एक मुकाबले में ओलंगा की गेंद पर केवल 11 रन बनाकर आउट हुए थे सचिन।अजय जडेजा के अनुसार इसके बाद सचिन पूरी रात नहीं सो सके थे, अगले मैच में खेली विस्फोटक शतकीय पारी।

नई दिल्ली: मास्टर ब्लास्टर और अपनी बल्लेबाजी से दुनिया भर के क्रिकेट फैंस का दिल जीतने वाले महानतम खिलाफ सचिन तेंदुलकर ने अपने करियर में कई यादगार पारियां खेली। मैदान पर हमेशा शांत नजर आने वाले सचिन का बल्ला जब बोलता था तो अच्छे-अच्छे गेंदबाज असहाय महसूस करते थे। ऐसे कई उदाहरण हैं जहां सचिन ने अपने खेल के दम पर किसी मुकाबले का रूख पलट दिया। सचिन के बारे में ऐसे भी किस्से मशहूर हैं कि कैसे जब वे कुछ मौकों पर असफल होते थे तो फॉर्म को वापस पाने और अपनी गलती को सुधारने में सबकुछ झोंक देते थे।

ऐसा ही एक किस्सा अजय जडेजा ने सुनाया है जो 1998 में शारजाह में त्रिकोणीय श्रृंखला के दौरान का है। जिम्बाब्वे के स्टार तेज गेंदबाज हेनरी ओलंगा ने एक मुकाबले में तेंदुलकर, सौरव गांगुली, राहुल द्रविड़ और जडेजा को आउट करके भारतीय बल्लेबाजी की कमर तोड़ दी थी। ओलंगा ने इस मैच में 46 रन देकर चार विकेट झटके थे और भारत 13 रन से मैच हार गया।

तेंदुलकर इस मुकाबले में ओलंगा की एक अचानक उठी गेंद पर चकमा खा गए थे और सिर्फ 12 गेंदों में 11 रन बनाकर आउट हो गए थे।

जडेजा ने सोनी सिक्स पर इस किस्से के बारे में बताते हुए कहा, 'जब सचिन तेंदुलकर आउट हुए, उस रात और जब तक अगला मैच नहीं हुआ, तब तक उनके दिमाग में केवल एक ही बात चल रही थी। वह सो नहीं सका। मैंने उसे एक अलग अवतार में देखा। उन्होंने इंतजार किया। उन्होंने सोचा कि जो हुआ वह सही नहीं था और फिर उन्होंने जो जवाब दिया, हेनरी ओलंगा कुछ नहीं कर सकते थे।'

जडेजा ने आगे कहा, 'लोग 'डेजर्ट स्टॉर्म' के बारे में बात करते हैं। लेकिन मेरे लिए यह पारी खास थी...यह महत्वपूर्ण थी। जब आप एक साथ खेलते हो तो आप भावनाओं को समझते हो। आपके इगो को एक व्यक्ति ने नष्ट कर दिया था और दो दिनों में आपने उसे वापस अपनी क्षमता को दिखा दिया।'

श्रृंखला के अंतिम मैच में तेंदुलकर ने ओलंगा सहित जिम्बाब्वे के गेंदबाजों पर जमकर चौके-छक्के लगाए। ओलंगा ने इस मैच में छह ओवरों में 50 रन दिए। तेंदुलकर ने सिर्फ 92 गेंदों में नाबाद 124 रनों की पारी खेली और भारत ने केवल 30 ओवरों में 197 रन के लक्ष्य का पीछा करते हुए मैच जीत लिया।

टॅग्स :सचिन तेंदुलकरअजय जडेजाज़िम्बाब्वे
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