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बैंक कर्ज नहीं चुकाने पर एस्सेल समूह के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं : कांग्रेस का केंद्र से सवाल

By भाषा | Updated: December 24, 2021 22:25 IST

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नयी दिल्ली, 24 दिसंबर कांग्रेस ने केंद्र और उसके "कॉरपोरेट मित्रों" के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए शुक्रवार को सवाल किया कि यस बैंक का ऋण चुकाने में चूक करने वाले डिश टीवी के प्रवर्तक एस्सेल ग्रुप के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई।

कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने केंद्र से सवाल किया कि वह डिश टीवी के प्रवर्तक सुभाष चंद्रा का समर्थन क्यों कर रहा है जबकि कंपनी में उनकी 10 प्रतिशत से कम की हिस्सेदारी है। उन्होंने सवाल किया कि कंपनी के लिए किसी प्रशासक की नियुक्ति क्यों नहीं की गई जैसा इसी तरह के कई मामलों में किया गया है।

उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने भाजपा समर्थित राज्यसभा सदस्य चंद्रा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की और नियमों को तोड़ा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के "पसंदीदा कारोबारियों" के "निहित हितों की रक्षा के लिए" मामले में कानूनों की अनदेखी की गई।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) या एस्सेल समूह की ओर से इन आरोपों पर तत्काल कोई टिप्पणी नहीं की गई है।

खेड़ा ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘मोदी सरकार और प्रधानमंत्री के कुछ कॉरपोरेट मित्रों का गठजोड़ अब न केवल देश, बल्कि पूरी दुनिया में सामने आ गया है। कानूनों की अनदेखी की जाती है, दुरुपयोग किया जाता है...।’’

डिश टीवी के मामले में, उन्होंने आरोप लगाया कि निजी बैंक यस बैंक को 2020 में चंद्रा के एस्सेल समूह को दिए गए 6,789 करोड़ रुपये के ऋण के कारण भारी नुकसान हुआ।

उन्होंने उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर में चंद्रा की एक शिकायत के आधार पर यस बैंक के खिलाफ दर्ज एक प्राथमिकी का हवाला दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि बैंक ने उनकी कंपनी पर ऋण लेने के लिए "दबाव" बनाया और डिश टीवी के गिरवी रखे शेयरों को "गलत तरीके से" इस्तेमाल किया।

खेड़ा ने सवाल किया कि "सरकार भारतीय स्टेट बैंक से संबद्ध यस बैंक को भाजपा समर्थित सांसद सुभाष चंद्रा से पैसे वसूल करने में मदद करने के लिए कोई कदम क्यों नहीं उठा रही है।

उन्होंने कहा कि बैंक के पास डिश टीवी के 25.63 प्रतिशत शेयर हैं। बैंक ने इसे ऋण के फंसे कर्ज में तब्दील होने के बाद लिया। कंपनी में प्रवर्तक की हिस्सेदारी 5.93 प्रतिशत है।

खेड़ा ने कहा कि यस बैंक ने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी), वित्त मंत्री और कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय को नवंबर में पत्र लिखकर अनियमितता की ओर ध्यान दिलाया लेकिन कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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