विधायकों का वेतन 35000 और मंत्री को मिलेगा 50000 रुपये, यूपी में नौ साल बाद बढ़ा वेतन और भत्ता, इजाफे से सरकार पर 105 करोड़ 21 लाख 63 हजार रुपए का बोझ
By राजेंद्र कुमार | Updated: August 14, 2025 19:05 IST2025-08-14T19:03:11+5:302025-08-14T19:05:25+5:30
अखिलेश यादव के शासनकाल में बढ़ा था विधायकों का वेतन-भत्ता. चार दिन के मानसून सत्र में एमएलए और एमएलसी के लिए सौगात लाया.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश का चार दिनों चला मानसून सत्र एमएलए और एमएलसी के लिए खुशियों की सौगात लाने वाला रहा. इस सत्र के दौरान भले की सदन की कार्रवाई दो दिन पूरी तरह बाधित रही. दो दिनों तक सदन पूरे समय तय नहीं चला, लेकिन इस दौरान नए बने एमएलए और एमएलसी को नया आईपैड मिला और सदन के अंतिम दिन सभी एमएलए और एमएलसी के वेतन में इजाफा करने संबंधी विधेयक को सदन की मंजूरी मिल गई. इस संबंध में सदन में रखे गए उत्तर प्रदेश विधानमंडल सदस्य एवं मंत्रीगण सुख-सुविधा अधिनियम विधेयक, 2025 सर्वसम्मति से पारित हो गया.
इस विधेयक के पारित होने से अब विधायकों (एमएलए) का वेतन 25 हजार से बढ़ाकर 35 हजार रुपए हो जाएगा. जबकि मंत्रियों का वेतन 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपए कर दिया जाएगा. निर्वाचन क्षेत्र भत्ता भी 50 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपए हो जाएगा. जबकि विधायकों का दैनिक भत्ता 2000 से बढ़ाकर उसे 2500 रुपए किया जाएगा.
जनसेवा कार्यों के लिए दिया जाने वाला दैनिक भत्ता 1500 से बढ़ाकर 2000 रुपए किया जाएगा. सरकार के इस फैसले का लाभ सूबे के 403 एमएलए (विधायक) और 100 एमएलसी (विधान परिषद सदस्य) को मिलेगा. राज्य में विधायकों के वेतन में इजाफा किए जाने की मांग दो साल से की जा रही थी. इससे पहले वर्ष 2016 में अखिलेश यादव ने विधायकों के वेतन और भत्तों में इजाफा किया था.
योगी सरकार के शासनकाल में पहली बार विधायकों के वेतन-भत्तों में वृद्धि की गई है. प्रदेश के वित्त और संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने गुरुवार को सदन में उत्तर प्रदेश विधानमंडल सदस्य एवं मंत्रीगण सुख-सुविधा अधिनियम विधेयक, 2025 को रखते हुए यह बताया कि समय के साथ महंगाई बढ़ी है. जिसके चलते ही विधायक-मंत्रियों के वेतन भत्ते में इजाफा करने संबंधी विधेयक लाया जा रहा है.
इसलिए इसपर विचार किया गया है, सीएम ने इसे मंजूरी दे दी है. वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि मार्च 2025 में एक समिति की घोषणा की थी. मेरी अगुवाई में समिति में हुई थी, जिसमें माता प्रसाद पांडेय, आशीष पटेल, राजपाल बालियान, संजय निषाद, ओम प्रकाश राजभर, आराधना मिश्रा मोना और राजा भैया उसके सदस्य थे.
कई मीटिंगों के बाद जो निष्कर्ष निकला कि इस महंगाई के जमाने में विधायकों व मंत्रियों के भत्तों में इजाफा किया जाए. इसी के बाद सदन में विधेयक मंजूरी के लिए लाया गया. उनके इस कथन के बाद सदन ने सर्वसम्मति से अपनी मंजूरी प्रदान कर दी. इस विधेयक के चलते विधायकों के वेतन और दैनिक भत्तों के साथ ही चिकिस्तीय भत्ता भी 30 हजार से बढ़ाकर 45 हजार रुपए किया जाएगा.
विधायकों के टेलीफोन भत्ते के मद में जो पहले 6 हजार था, उसे बढ़ाकर 9 हजार रुपए किया जाएगा. इसके साथ ही विधायकों की पेंशन हर महीने 25 हजार की जगह अब से 35 हजार रुपए मिला करेगी. जबकि पारिवारिक पेंशन को 25 हजार से बढ़ाकर 30 हजार रुपए कर दी जाएगी. गई. विधायकों को मिलने वाले रेलवे कूपन की राशि में भी इजाफा किया जाएगा.
जिसके चलते हर साल विधायकों के मिलने वाले एक लाख रुपए की राशि को बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए किया जाएगा. कुल मिलाकर विधायकों के वेतन और भत्तों को लेकर प्रदेश सरकार ने 105 करोड़ 63 लाख रुपए की वार्षिक व्यवस्था की गई है. इस फैसले के बाद 105 करोड़ 21 लाख 63 हजार रुपए का सरकार के ऊपर बोझ आएगा.