मोदी कैबिनेट ने डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत FDI को दी मंजूरी
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 28, 2019 07:35 PM2019-08-28T19:35:32+5:302019-08-28T19:35:32+5:30
कैबिनेट की मीटिंग में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने डिजिटल मीडिया में एफडीआई, नए मेडिकल कॉलेज समेत कई ऐलान किए।
नरेंद्र मोदी कैबिनेट ने डिजिटल मीडिया में 26 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को सशर्त मंजूरी दी। इसके लिए पहले सरकार से लेना होगा परमिशन।
प्रिंट मीडिया क्षेत्र में इस समय 26 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। इसके लिये सरकार की अनुमति लेनी होती है। इसी प्रकार प्रसारण सामग्री सेवाओं के कारोबार में भी 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। इसके लिये भी पहले सरकार की अनुमति लेनी होगी।
The Union Cabinet approves 26% foreign direct investment (FDI) in digital media with government approval. pic.twitter.com/32ITBrVnha
— ANI (@ANI) August 28, 2019
बैठक में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चीनी सीजन 2019-20 के दौरान अधिशेष स्टॉक की निकासी के लिए चीनी निर्यात नीति को मंजूरी दी है। इस वित्तीय वर्ष में लगभग 60 लाख टन चीनी का निर्यात किया जाना है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 60 लाख टन चीनी के निर्यात के लिए 6,268 करोड़ रुपये की निर्यात सब्सिडी दिए जाने का प्रस्ताव मंजूर किया।
जावड़ेकर ने कहा कि देश में 162 लाख टन चीनी का स्टॉक। इसमें से 40 लाख टन बफर स्टॉक है, बाकी 60 लाख टन चीनी का निर्यात किया जाएगा। निर्यात सब्सिडी से जरूरत से ज्यादा मात्रा में पड़े चीनी के स्टॉक का निस्तारण करने में मदद मिलेगी।
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि मंत्रिमंडल ने आपदा रोधी अवसंरचना (सीडीआरआई) के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन की स्थापना को मंजूरी दी है। पीएम मोदी 23 सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन के दौरान सीडीआरआई का शुभारंभ करेंगे।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कोयला खनन और संबंधित बुनियादी ढांचे में स्वत: मंजूरी मार्ग से शत प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई। मंत्रिमंडल ने ठेका विनिर्माण में स्वत: मंजूरी मार्ग से 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी।
सरकार ने दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू-कश्मीर और लद्दाख- में विकास, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों को देखने के लिए बुधवार को एक मंत्री समूह (जीओएम) का गठन किया।
जम्मू कश्मीर और लद्दाख, केंद्रशासित प्रदेशों के रूप में 31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे। केंद्र ने गत पांच अगस्त को जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को खत्म कर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों-जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बांटने का फैसला किया था।
सरकार के सूत्रों ने बताया कि कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत, कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री जितेंद्र सिंह और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान इस समूह में शामिल हैं। समूह जम्मू कश्मीर से संबंधित मुद्दों को देखेगा।
सूत्रों ने कहा कि मंत्री समूह दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में उठाए जाने वाले विभिन्न विकास, आर्थिक और सामाजिक कदमों के बारे में सुझाव देगा। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन कानून 2019 के तहत दो केंद्रशासित प्रदेश-जम्मू कश्मीर और लद्दाख-31 अक्टूबर को अस्तित्व में आएंगे।
संसद ने इस महीने कानून को मंजूरी दी थी। सूत्रों ने बताया कि जीओएम की पहली बैठक सितंबर के पहले सप्ताह में होगी। जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने और वहां जल्द से जल्द स्थिति को सामान्य बनाने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने के लिए गत मंगलवार को कम से कम 15 केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सचिवों ने बैठक की थी।