Trump India Tariffs 2025: 17740 करोड़ रुपए निर्यात, 15 लाख लोगों को नौकरी?, डोनाल्‍ड ट्रंप टैरिफ से संकट में भदोही कालीन उद्योग

By राजेंद्र कुमार | Updated: August 9, 2025 19:20 IST2025-08-09T19:18:19+5:302025-08-09T19:20:12+5:30

Trump India Tariffs 2025: यूपी में इसका असर ऑर्गेनिक-इनआर्गेनिक कैमिकल, रेडिमेड गारमेंट्स, जूलरी, मशीनरी और लेदर के उत्पादों पर भी पड़ने ही संभावना फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशंस के यूपी चैप्टर के हेड आलोक श्रीवास्तव ने व्यक्त की है.

Trump India Tariffs 2025 Exports worth Rs 17740 crore employment 15 lakh people Bhadohi's carpet industry in trouble due Donald Trump's tariff? | Trump India Tariffs 2025: 17740 करोड़ रुपए निर्यात, 15 लाख लोगों को नौकरी?, डोनाल्‍ड ट्रंप टैरिफ से संकट में भदोही कालीन उद्योग

Bhadohi's carpet

Highlightsभदोही के कालीन को लेकर अमेरिका से मिले 60% ऑर्डर होल्ड पर. भदोही के कालीन उद्योग से 15 लाख लोगों को मिल रहा रोजगार. आलोक श्रीवास्तव के अनुसार, निर्यात को लेकर उत्तर प्रदेश देश में चौथे नंबर पर पहुंच चुका है.

Trump India Tariffs 2025: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ से उत्तर प्रदेश में भदोही के कालीन उद्योग के सामने संकट खड़ा हो गया है. देश में कालीन नगरी के नाम से मशहूर भदोही हर साल लगभग 17,740 करोड़ रुपए के कालीन दुनिया के विभिन्न देशों में निर्यात करता है, जिसमें से करीब 60% हिस्सा केवल अमेरिका को जाता है. अब अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ के चलते भदोही से अमेरिका भेजे जाने वाले कालीन से 60 प्रतिशत से अधिक के ऑर्डर होल्ड पर डाले जा चुके हैं. भदोही के कालीन निर्यातकों का कहना है कि टैरिफ के विवाद अगर जल्दी नहीं सुलझा तो कालीन के निर्यात में भारी गिरावट हो सकती हैं. ऐसा होने पर इस उद्योग में लगे करीब 15 लाख लोगों के रोजगार पर असर पड़ेगा.

ऐसा नहीं है कि अमरीका द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ का असर सिर्फ भदोही के कालीन पर पड़ेगा यूपी में इसका असर ऑर्गेनिक-इनआर्गेनिक कैमिकल, रेडिमेड गारमेंट्स, जूलरी, मशीनरी और लेदर के उत्पादों पर भी पड़ने ही संभावना फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट्स ऑर्गेनाइजेशंस के यूपी चैप्टर के हेड आलोक श्रीवास्तव ने व्यक्त की है.

भदोही से हर साल 17,740 करोड़ रुपए के कालीन का होता है निर्यात 

आलोक श्रीवास्तव के अनुसार, निर्यात को लेकर उत्तर प्रदेश देश में चौथे नंबर पर पहुंच चुका है. वित्त वर्ष 2024-25 में उत्तर प्रदेश से 1.86 लाख करोड़ रुपए के उत्पादों का निर्यात दुनिया भर में हुआ था. निर्यात के इस आंकड़े में उत्तर प्रदेश से अमेरिका को भेजे गए 35,545 करोड़ रुपए के उत्पाद भी शामिल हैं. इस वर्ष भी निर्यात के उक्त आंकड़ों में इजाफा होने ही उम्मीद थी,

लेकिन अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप द्वारा लगाए जा रहे टैरिफ से इस ऐसा हो पाना संभव होता दिखाई नहीं दे रहा. आलोक श्रीवास्तव कहते हैं कि यूपी के कुल निर्यात का 19% अमेरिका को होता है, इसमें खासतौर पर ऑर्गेनिक-इन ऑर्गेनिक केमिकल, कालीन, रेडिमेड गारमेंट्स, जूलरी, मशीनरी और लेदर के उत्पाद शामिल हैं.

इसमें भदोही से हर साल दुनिया के विभिन्न देशों को निर्यात किए गए लगभग 17,740 करोड़ रुपए के कालीन शामिल हैं. जिसमें से करीब 60% कालीन भदोही से अमेरिका को भेजे जाते हैं. अब टैरिफ बढ़ोतरी में होने वाले इजाफे से यूपी में बने उत्पाद की कीमतों में भी इजाफा होगा, इस वजह से उनकी बिक्री पर असर पड़ेगा. जिसके चलते ही कालीन, रेडिमेड गारमेंट्स, जूलरी, मशीनरी और लेदर के उत्पाद के आर्डर होल्ड पर डाले जा रहे हैं.

कालीन उद्योग को चाहिए बेलआउट पैकेज

कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के डायरेक्टर असलम महबूब भदोही के कालीन उद्योग के सामने उत्पन्न होने वाले संकट को लेकर कहते हैं कि टैरिफ बढ़ोतरी भारतीय कालीनों खास कर भदोही के कालीनों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक कीमत को कम कर देगी. इसके चले अमेरिका में कालीन के खरीदार सस्ते विकल्पों की ओर रुख कर सकते हैं, जिससे निर्यात में भारी गिरावट आना तय है.

निर्यात में कमी का सीधा असर भदोही, मिर्जापुर, वाराणसी, जौनपुर और आसपास के जिलों के बुनकरों और श्रमिकों पर पड़ेगा, जिनकी आजीविका का मुख्य साधन कालीन बुनाई ही है. वह कहते हैं कि इस उद्योग की खासियत यह है कि यह न केवल भारत की कला और संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है.

लाखों बुनकर परिवार पीढ़ियों से इस पेशे से जुड़े हैं और अब मौजूदा संकट ने इन कारीगरों के भविष्य पर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस मामले में हम भारत सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की अपील कर रहे हैं. इसके साथ ही केंद्र सरकार से कालीन उद्योग को 20% विशेष बेलआउट पैकेज देने की मांग सीईपीसी ने की है.

हमारा मानना है कि समय रहते राहत पैकेज और नीतिगत सहूलियतें नहीं मिलीं तो भदोही का कालीन उद्योग लंबे समय तक इस झटके से उबर नहीं पाएगा. कुछ इसी तरह ही मांग असोसिएशन ऑफ इंडियन मैन्युफैक्चरिंग के नेशनल प्रेसिडेंट मनमोहन अग्रवाल ने भी केंद्र सरकार से की है.

मनमोहन अग्रवाल का कहना है कि टैरिफ बढ़ने से निर्यातकों को दूसरे बड़े बाजार तलाशने होंगे, मगर सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि अमेरिका में उत्पादों की अच्छी कीमत मिलती है, जो अन्य देशों में नहीं मिलेगी, इसलिए केंद्र सरकार को इस मामले में पहल करनी चाहिए. 

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