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सरकार-किसानों के बीच बातचीत में गतिरोध बरकरार, तोमर ने शनिवार की बैठक में समाधान की उम्मीद जताई

By भाषा | Updated: December 3, 2020 23:34 IST

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नयी दिल्ली, तीन दिसंबर कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के नेतृत्व में तीन केंद्रीय मंत्रियों के साथ आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधिमंडल की बृहस्पतिवार को हुई बैठक भी बेनतीजा रही। लगभग आठ घंटे चली इस बैठक में किसान नेता नए कृषि कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग पर अड़े रहे।

किसान नेताओं के बातचीत के बीच में सरकार की तरफ से की गई दोपहर क भोजन, चाय और पानी की पेशकश को भी ठुकरा दिया।

सरकार ने बातचीत के लिये पहुंचे विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया कि उनकी सभी वैध चिंताओं पर गौर किया जाएगा और उनपर खुले दिमाग से विचार किया जायेगा। लेकिन दूसरे पक्ष ने कानूनों में कई खामियों और विसंगतियों को गिनाते हुये कहा कि इन कानूनों को सितंबर में जल्दबाजी में पारित किया गया।

कृषिमंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर विज्ञान भवन में किसान नेताओं के साथ चौथे दौर कर वार्ता में सरकार के पक्ष की अगुवाई कर रह थे। उन्होंने कहा कि अगले दौर की वार्ता शनिवार को दोपहर दो बजे से होगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह बैठक इन मुद्दों के समाधान की ओर ले जायेगी।

उन्होंने यह भी कहा कि किसी तरह का ‘कोई अहंकार नहीं है’ और सरकार तीन नये कृषि कानूनों के बारे में किसानों की आशंकाओं के सभी महत्वपूर्ण पहलुओं पर खुले दिमाग से वार्ता करने और विचार करने को सहमत है। इनमें एपीएमसी (कृषि उपज विपणन समिति) को मजबूत करने सहित मंडी प्रणाली, प्रस्तावित निजी मंडियों के साथ कर समरूपता और किसी विवाद की स्थिति में विवाद निपटान के लिए किसानों को उच्च न्यायालयों में जा सकने की स्वतंत्रता जैसे पहलु शामिल हैं।

तोमर ने कहा कि शुक्रवार को सरकार इन सभी मुद्दों पर विचार करेगी और शनिवार को वार्ता के लिए फिर आने से पहले किसान यूनियन भी इन पर विचार करेगी।

यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार तीन विवादास्पद कानूनों में संशोधन करने के लिए तैयार है, तोमर ने कहा, ‘‘मैं कोई भविष्यवक्ता नहीं हूं। जब हम एक दिन बाद मिलेंगे, तो हम किसी समाधान की ओर बढ़ने की उम्मीद करते हैं।’’

तोमर ने कहा कि सरकार फसल अवशेषों को जलाये जाने और बिजली से संबंधित कानून पर अध्यादेश से संबंधित किसानों की चिंताओं पर भी गौर करने के लिए तैयार है।

उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) पर खरीद प्रक्रिया को जारी रखने, सुधारने और विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी के मन में कोई संदेह नहीं रहना चाहिए। फिर भी, अगर किसानों को उस मोर्चे पर कोई चिंता है, तो हम उन्हें आश्वस्त करना चाहेंगे कि नए कानून से एमएसपी प्रणाली के लिए कोई खतरा नहीं हैं।’’

मंत्री ने यह भी आश्वासन दिया कि यदि कोई आशंका हो तो सरकार यह स्पष्ट करने के लिए तैयार है कि किसानों को कॉर्पोरेट्स के हाथों अपनी जमीन खोने का कोई खतरा नहीं है।

एक सरकारी सूत्र ने कहा कि बैठक शनिवार को फिर से शुरू होगी क्योंकि समय की कमी के कारण कोई अंतिम नतीजा नहीं निकल सका।

नारेबाजी करते हुए सभा स्थल से बाहर आए किसान नेताओं ने कहा कि वार्ता में गतिरोध बना हुआ है। इन किसान नेताओं में से कुछ ने धमकी दी कि बृहस्पतिवार की बैठक में कोई समाधान नहीं निकला तो आगे की बैठकों का बहिष्कार किया जायेगा।

एआईकेएससीसी (अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति) के कार्यकारी सदस्य तथा महाराष्ट्र और गुजरात के किसानों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोक संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष प्रतिभा शिंदे ने कहा, ‘‘हमारी ओर से वार्ता खत्म हो गयी है। हमारे नेताओं ने कहा है कि अगर सरकार द्वारा आज कोई समाधान नहीं दिया जाता है तो वे आगे की बैठकों में भाग नहीं लेंगे।’’

एक अन्य किसान नेता कुलवंत सिंह संधू ने कहा कि सरकार ने एमएसपी और खरीद प्रणाली सहित कई प्रस्ताव रखे हैं, जिन पर शनिवार को सरकार के साथ अगली बैठक से पहले किसान संगठनों के साथ चर्चा होगी।

एआईकेएससीसी के महासचिव हन्नान मोल्लाह ने कहा कि यूनियनों की मुख्य मांग उक्त तीन कानूनों को निरस्त करने की है और सरकार ने किसान नेताओं द्वारा बताई गई 8-10 विशिष्ट कमियों को भी सुना है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई संशोधन नहीं चाहते हैं। हम चाहते हैं कि इन कानूनों को निरस्त किया जाए।’’ मोल्लाह ने कहा कि सरकार के साथ अगले दौर की बातचीत के लिए सभी किसान संगठन शुक्रवार को सुबह 11 बजे बैठक करेंगे।

भारतीय किसान यूनियन (अम्बर्ता) के अध्यक्ष ऋषिपाल ने कहा, ‘‘सरकार ने सभी बिंदुओं को दर्ज किया है। मंत्रियों ने आश्वासन दिया कि वे उन पर गौर करेंगे और एक दिन का समय मांगा है।’’

सरकार ने तीनों कानूनों पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी और किसानों के कल्याण की अपनी मंशा को किसान नेताओं के समक्ष रखा। हालांकि, किसान नेताओं ने सरकार के रुख को खारिज कर दिया।

बेठक में कृषि मंत्री तोमर के अलावा, सरकार की ओर से रेलवे, खाद्य एवं उपभोक्ता मामले तथा वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश जो कि पंजाब से सांसद हैं, भी बैठक में शामिल थे।

बैठक में उपस्थित 40 किसान नेताओं ने सरकार की तरफ से पेश दोपहर के भोजन को लेने से इनकार कर दिया और सिंघू बार्डर से एक वैन में लाये गये भोजन को खाना पसंद किया, जहां उनके हजारों सहयोगी नए कृषि कानूनों के विरोध में बैठे हैं।

उन्होंने बैठक के दौरान चाय और पानी की पेशकश को भी स्वीकार नहीं किया।

पिछले दौर की वार्ता एक दिसंबर को हुई थी, लेकिन तीन घंटे की चर्चा के बाद भी गतिरोध बना रहा क्योंकि किसान नेताओं ने उनके मुद्दों पर गौर करने के लिए एक नई समिति गठित करने के सरकार के सुझाव को खारिज कर दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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