लाइव न्यूज़ :

न्यायालय ने सरकार को आठ श्रेणियों के कर्ज पर ब्याज राहत का निर्णय लागू करने को कहा

By भाषा | Updated: November 27, 2020 16:59 IST

Open in App

नयी दिल्ली, 27 नवंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोरोना वायरस महामारी के कारण आठ श्रेणियों के 2 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर ब्याज से राहत देने के उसके निर्णय को लागू करने के लिये सभी कदम उठाये जाएं।

न्यायाधीश अशोक भूषण, न्यायाधीश आर एस रेड्डी और न्यायाधीश एम आर शाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि कोविड-19 महामारी के कारण न केवल लोगों के स्वास्थ्य को लेकर खतरा उत्पन्न हुआ है बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। इससे दुनिया के अन्य देश भी प्रभावित हुए हैं।

इन श्रेणियों में सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई), शिक्षा, आवास, टिकाऊ उपभोक्ता, क्रेडिट कार्ड, वाहन, व्यक्तिगत और उपभोग कर्ज शामिल हैं।

पीठ ने कहा, ‘‘आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ लगाये जाने से इसमें कोई संदेह नहीं है कि निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र समेत ज्यादातर कारोबार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा।’’

न्यायालय ने कहा, ‘‘कई महीनों तक, बड़ी संख्ंया में उद्योगों को काम करने की अनुमति नहीं मिली। केवल कुछ उद्योगों को काम करने की अनुमति मिली थी जो उस समय के हालात में जरूरी और आवश्यक श्रेणी में आते थे।

हालांकि ‘लॉकडाउन’ से जुड़ी पाबंदियों से राहत दिये जाने के बाद से धीरे-धीरे उद्योग और अन्य कारोबारी गतिविधियां पटरी पर आ रही हैं। अर्थव्यवस्था की स्थिति भी सुधर रही है। हालांकि उसकी गति कम है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कर्ज लौटाने को लेकर छह महीने की जो महोलत दी थी, वह तीन मार्च से 31 अगस्त तक जारी रही।

पीठ ने सोलिसीटर जनरल तुषार मेहता की बातों पर गौर किया। उन्होंने कहा कि केंद्र ने कुछ क्षेत्रों की कठिनाइयों और समस्याओं के समाधान के लिये आपदा प्रबंधन कानून, 2005 के तहत कदम उठाये।

न्यायालय ने कहा, ‘‘...याचिककर्ता के वकील राजीव दत्ता ने अपने मुवक्किल की शिकायत के समाधान के लिये सरकार की तरफ से उठाये गये कदमों पर संतोष जताया है...।’’

पीठ ने कहा, ‘‘हम मौजूदा रिट याचिका का निपटान करते हैं और प्रतिवादी को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि वह निर्णय को लागू करने के लिये हर जरूरी कदम उठाये।’’

रिजर्व बैंक ने 27 मार्च को परिपत्र जारी किया था। इसमें बैंकों और अन्य कर्ज देने वाले संस्थानों को ग्राहकों से एक मार्च, 2020 और 31 मई, 2020 के बीच कर्ज की किस्त नहीं लेने की अनुमति दी थी। बाद में कर्ज नहीं देने की मोहलत इस साल 31 अगस्त तक के लिये बढ़ा दी।

याचिका मोहलत अवधि के दौरान के कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) को लेकर ग्राहकों से ब्याज-पर-ब्याज वसूली से राहत देने के लिये दायर की गयी थी।

आगरा के गजेन्द्र शर्मा ने शीर्ष अदालत में इस बाबत याचिका दायर की थी। इसमें आरबीआई के 27 मार्च, 2020 की अधिसूचना के उस हिस्से को रद्द करने का आग्रह किया गया था जिसमें मोहलत अवधि के दौरान कर्ज राशि पर ब्याज वसूली की बात कही गयी थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

पूजा पाठPanchang 16 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 16 December 2025: आज कर्क राशिवालों के सामने आएंगी आर्थिक चुनौतियां, जानें सभी राशियों का भविष्य

भारतIndo-Pak War 1971: शौर्य और पराक्रम से पाक को चटाई थी धूल

कारोबारभारतीय अर्थव्यवस्था में जान फूंकता ग्रामीण भारत, 2024-25 में 35.77 करोड़ टन अनाज पैदा करके ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया

भारतबिहार के मुजफ्फरपुर जिले में अपने पांच बच्चों के साथ फांसी के फंदे से झूल गया अमरनाथ राम, तीन की मौत, दो की बच गई जान

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारGold Price Record High: निवेशकों में हड़कंप, सोना ₹1.37 लाख प्रति 10 ग्राम

कारोबार30 नवंबर तक नए, मौजूदा और सेवानिवृत्त सहित कुल 122123 केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों ने यूपीएस को चुना

कारोबारअब तक 17.24 लाख टोकन से 87 लाख टन धान की खरीदी, किसानों  को 7 हजार 771 करोड़ रुपए का भुगतान 

कारोबारमनरेगा की जगह विकसित भारत-जी राम जी?, साल में 125 दिन रोजगार, कानून लाएगी केंद्र सरकार

कारोबारनवंबर में 19.37 प्रतिशत बढ़कर 38.13 अरब अमेरिकी डॉलर निर्यात, आयात 1.88 प्रतिशत घटकर 62.66 अरब अमेरिकी डॉलर