Income Tax: टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी! ITR फाइल करने के बाद गलतियों के लिए नहीं मिलेगा नोटिस, गलती जल्द होगी ठीक
By अंजली चौहान | Updated: November 10, 2025 14:16 IST2025-11-10T14:14:13+5:302025-11-10T14:16:30+5:30
Income Tax: अब टीडीएस, ब्याज गणना या अन्य छोटी-मोटी गलतियों का तुरंत समाधान हो जाएगा। टैक्स रिफंड में भी देरी नहीं होगी। करदाताओं को अक्सर आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद गलत टैक्स डिमांड नोटिस या रिफंड में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था।

Income Tax: टैक्सपेयर्स के लिए खुशखबरी! ITR फाइल करने के बाद गलतियों के लिए नहीं मिलेगा नोटिस, गलती जल्द होगी ठीक
Income Tax: आयकर करदाताओं के लिए बड़ी खुशखबरी है क्योंकि अब वे टीडीएस, ब्याज गणना या अन्य छोटी-मोटी त्रुटियों को तुरंत ठीक करवा सकते हैं। अब टैक्स रिफंड मिलने में कोई देरी नहीं होगी। करदाताओं को अक्सर आयकर रिटर्न दाखिल करने के बाद गलत टैक्स डिमांड नोटिस या रिफंड में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता था। इन मामलों में सबसे बड़ी समस्या यह थी कि छोटी-मोटी त्रुटियों को ठीक करने में भी महीनों लग जाते थे। अक्सर, ऐसा आकलन अधिकारी (एओ) और केंद्रीकृत प्रसंस्करण केंद्र (सीपीसी) के बीच फाइलों के लंबे आदान-प्रदान के कारण होता था।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने इस पूरी प्रक्रिया को सरल और त्वरित कर दिया है। 27 अक्टूबर, 2025 को जारी एक अधिसूचना के तहत, बेंगलुरु स्थित आयकर आयुक्त (सीपीसी) को विशेष अधिकार दिए गए हैं। इससे अब सीपीसी को उन सभी गणना संबंधी या लेखा संबंधी त्रुटियों को सीधे ठीक करने का अधिकार मिल गया है जिनके लिए पहले एओ की मंजूरी की आवश्यकता होती थी।
पहले, अगर कोई त्रुटि होती थी, जैसे टीडीएस या टीसीएस का मिलान न होना, अग्रिम कर में त्रुटि, या धारा 244ए के तहत ब्याज की गलत गणना, तो करदाताओं को एओ के कार्यालय के कई चक्कर लगाने पड़ते थे। एओ फाइल को सीपीसी को भेजता था, और फिर सीपीसी एओ से स्पष्टीकरण मांगता था। इस प्रक्रिया में अक्सर दो से छह महीने लग जाते थे। नए नियमों के तहत, सीपीसी अब ऐसे मामलों को स्वयं सुधार सकेगा।
इन गलतियों को जल्द ही सुधारा जाएगा
- टीडीएस या टीसीएस की गलत गणना।
- अग्रिम या स्व-मूल्यांकन कर की अनदेखी।
- पहले जारी किए गए रिफंड में त्रुटि।
- ब्याज की गलत गणना।
- कर या रिफंड राशि में त्रुटि।
अगर आवश्यक हो, तो सीपीसी अब धारा 156 के तहत सीधे संशोधित मांग नोटिस जारी कर सकता है।
लेखाकारों के अनुसार, यह बदलाव करदाताओं के लिए एक बड़ी राहत है। जिन सुधारों में पहले महीनों लगते थे, अब वे कुछ ही दिनों में पूरे हो सकते हैं। इससे कर मांग संबंधी त्रुटियों और रिफंड में देरी, दोनों के सुधार में तेज़ी आएगी। यह कदम आयकर विभाग की डिजिटल प्रोसेसिंग प्रणाली को और मज़बूत करेगा। करदाताओं को विभाग के बार-बार चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। कुल मिलाकर, यह निर्णय कर प्रशासन को और अधिक पारदर्शी बनाएगा।