Tata Steel British operations: टाटा स्टील के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) टी वी नरेंद्रन ने कहा है कि कंपनी के ब्रिटेन परिचालन में लगभग 2,500 कर्मचारियों की छंटनी अपरिहार्य है। नौकरी जाने की आशंका के बीच श्रमिक संगठन लगातार कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। भारत की टाटा स्टील साउथ वेल्स के पोर्ट टालबोट में 30 लाख टन प्रति वर्ष की क्षमता वाले ब्रिटेन के सबसे बड़े इस्पात कारखाने की मालिक है। कंपनी वहां अपने सभी परिचालन में लगभग 8,000 लोगों को रोजगार देती है।
अपनी कार्बन-उत्सर्जन कम करने की योजना के हिस्से के रूप में कंपनी ब्लास्ट फर्नेस (बीएफ) मार्ग से कम उत्सर्जन वाली इलेक्ट्रिक आर्क फर्नेस (ईएएफ) प्रक्रिया में स्थानांतरित हो रही है। ब्लास्ट फर्नेस अपने जीवन चक्र के अंत के करीब है। नरेंद्रन ने कहा कि ब्रिटेन सरकार की सहायता से ईएएफ में परिवर्तन से कंपनी को कम उत्पादन लागत के मामले में प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकेगा, तथा प्रति वर्ष 50 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड (सीओ2) कम करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, “लेकिन इस सब में 2,500 नौकरियां खत्म हो जाएंगी और यही बात संगठनों को बिल्कुल भी पसंद नहीं है।
संगठनों के साथ इसपर बातचीत चल रही है कि हम इसे यथासंभव सहज तरीके से कैसे कर सकते हैं। यह अपरिहार्य है।” टाटा स्टील और ब्रिटिश सरकार ने ब्रिटेन में पोर्ट टालबोट स्थित इस्पात विनिर्माण इकाई में कार्बन उत्सर्जन में कमी की योजनाओं को क्रियान्वित करने के लिए पिछले साल सितंबर में 1.25 अरब पाउंड की संयुक्त निवेश योजना पर सहमति जताई थी। इसमें से 50 करोड़ पाउंड ब्रिटिश सरकार द्वारा प्रदान किए गए।