नयी दिल्ली, 29 जून सूचीबद्ध कंपनियों में कॉरपोरेट संचालन को बढ़ावा देने की कोशिशों के तहत सेबी ने मंगलवार को स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति और बर्खास्तगी से जुड़े नियमों में कई संशोधनों को मंजूरी दी। इनमें स्वतंत्र निदेशकों के इस्तीफा पत्रों का खुलासा करने की जरूरत भी शामिल है।
किसी स्वतंत्र निदेशक के उसी कंपनी या अनुषंगी या सहायक कंपनी या प्रवर्तक समूह की किसी और कंपनी में पूर्णकालिक निदेशक बनने के लिए एक साल की विराम अवधि का प्रावधान होगा।
स्वतंत्र निदेशकों से जुड़े नियामकीय प्रावधानों की समीक्षा के तहत सेबी बोर्ड ने सेबी (दायित्व एवं खुलासा जरूरतों की सूचीबद्धता) नियम, 2015 में संशोधनों को मंजूरी दे दी।
स्वतंत्र निदेशकों की नियुक्ति, पुनर्नियुक्ति और बर्खास्तगी केवल हितधारकों द्वारा पारित एक विशेष प्रस्ताव के जरिए ही होगी। यह सभी सूचीबद्ध कंपनियों पर लागू होगा।
नामांकन एवं पारिश्रमिक समिति (एनआरसी) इसी प्रक्रिया का पालन करेगी।
सेबी ने एक बयान में कहा कि इसके अलावा उम्मीदवारों को स्वतंत्र निदेशकों के तौर पर नियुक्त करने के लिए चयन प्रक्रिया को और पारदर्शी बनाया गया है। इनमें स्वतंत्र निदेशक के तौर पर नियुक्ति के लिए जरूरी कौशल और प्रस्तावित उम्मीदवार किस तरह से उन कौशल जरूरतों के लिहाज से उपयुक्त है, इसे लेकर और खुलासे शामिल हैं।
एनआरसी गठन के नियमों में भी बदलाव किया गया है इसमें दो तिहाई स्वतंत्र निदेशक होंगे जबकि मौजूदा नियमों में इसमें स्वतंत्र निदेशकों का बहुमत में होना जरूरी था।
इसमें कहा गया, "स्वतंत्र निदेशकों सहित सभी निदेशकों की नियुक्ति की खातिर शेयरधारकों की मंजूरी अगली आम सभा में या बोर्ड की नियुक्ति के तीन महीने के भीतर, इनमें से जो भी पहले होगा, में ली जाएगी।"
ये संशोधन एक जनवरी, 2022 से प्रभाव में आएंगे।
इसमें कहा गया है कि स्वतंत्र निदेशक के तौर पर नियुक्ति मानदंडों के तहत नियामक ने कहा है कि कंपनी के किसी अहम प्रबंधन पद वाले व्यक्ति, उनके सगे संबंधी अथवा प्रवर्तक कंपनी समूह के कर्मचारियों के लिये तीन साल की विराम अवधि होगी।
अन्य बातों में इसमें कहा गया है कि आडिट समिति के दो तिमाही सदस्य स्वतंत्र निदेशक होने चाहिये और संबंधित पक्षों यानी कंपनी समूह से जुड़े सभी लेनदेन समिति में स्वतंत्र निदेशकों द्वारा ही क्लियर किये जायेंगे।
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