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बढ़ती वैश्विक कीमतों से भारतीय चीनी निर्यात की संभावना बढ़ी : इक्रा

By भाषा | Updated: August 19, 2021 19:09 IST

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मजबूत वैश्विक कीमतों ने अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2021-22 के लिए सरकारी सब्सिडी के बिना भी भारत से चीनी निर्यात की संभावनाओं को बढ़ा दिया है। साख निर्धारक एजेंसी आईसीआरए (इक्रा) ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। पिछले दो वर्षों से, सरकारी सब्सिडी के साथ केवल तयशुदा मात्रा में चीनी का अनिवार्य रूप से निर्यात किया गया है। विपणन वर्ष 2020-21 (सितंबर-अक्टूबर) के लिए लगभग 60 लाख टन निर्यात का कोटा तय किया गया और चीनी मिलों ने अब तक इसके 90 प्रतिशत से अधिक हिस्से का निर्यात कर दिया है। बढ़ती वैश्विक दरों को देखते हुए चीनी मिलों ने भी इस साल खुले सामान्य लाइसेंस (ओजीएल) श्रेणी के तहत सरकारी सब्सिडी का लाभ उठाए बिना कुछ मात्रा में चीनी का निर्यात किया है। इक्रा ने एक बयान में कहा, "अंतरराष्ट्रीय कच्चे चीनी की कीमतों में हालिया वृद्धि होने से अगस्त में यह कीमत 430 डॉलर प्रति टन हो गयी है जिसे देखते हुए अगले चीनी सत्र (चीनीवर्ष -2022) के लिए चीनी निर्यात की संभावनाएं उत्साहजनक प्रतीत होती हैं। कच्चे चीनी की कीमत में इस वृद्धि के बाद, पिछले चार वर्षों में इसकी कीमतें उच्चतम स्तर पर हैं।" चीनी के कम अधिशेष स्थिति को देखते हुए चीनी की कीमतें भी कैलेंडर 2021 की शुरुआत के बाद से अधिक चल रही हैं, जिसके कारण भी कच्ची चीनी की वैश्विक कीमतों में और तेजी आई है। दुनिया के सबसे बड़े चीनी उत्पादक ब्राजील के लिए हाल ही में चीनी उत्पादन के आंकड़ों के आने से पता चलता है कि इस सत्र में देश के चीनी उत्पादन में और कमी हो सकती है। इक्रा के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और समूह प्रमुख सब्यसाची मजूमदार ने कहा कि ब्राजील के चीनी उत्पादन में गिरावट का भारतीय चीनी उद्योग प्रत्यक्ष लाभार्थी बन सकता है। उन्होंने कहा कि भारत में लगभग 3.1 करोड़ टन (इथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्जन किये जाने के बाद) सामान्य चीनी उत्पादन के अनुमान की पृष्ठभूमि में, उत्साहजनक निर्यात संभावनाओं के साथ-साथ इथेनॉल उत्पादन के लिए अधिक चीनी के हस्तांतरण किये जाने से घरेलू चीनी कंपनियों को अपना स्टॉक कम करने में मदद मिलेगी और इस प्रकार नकदी प्रवाह की स्थिति में सुधार होने के साथ कर्ज के बोझ में कमी आयेगी। इक्रा की उपाध्यक्ष और सेक्टर प्रमुख, अनुपमा अरोड़ा ने कहा, "हालांकि, हाल में चीनी की मजबूत कीमतों ने सब्सिडी के बिना भी निर्यात को लाभप्रद बना दिया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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