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Reserve Bank of India: आरबीआईएच कर रहा काम, बाधा रहित कर्ज सुलभ जल्द, नया प्रौद्योगिकी मंच तैयार कर रहा आरबीआई, जानें कैसे करेगा काम

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: August 10, 2023 14:42 IST

Reserve Bank of India: द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक नवोन्मेष केंद्र (आरबीआईएच) सुलभ कर्ज उपलब्ध कराने के लिये सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच तैयार कर रहा है।

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ठळक मुद्देवित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के मकसद से सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच तैयार कर रहा है।तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के चुनिंदा जिलों में चल रही है। आरबीआई अब सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच विकसित कर रहा है।

Reserve Bank of India: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) वंचित क्षेत्रों में कर्ज की निर्बाध पहुंच सुलभ कराने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के मकसद से सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच तैयार कर रहा है।

द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा करते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रिजर्व बैंक नवोन्मेष केंद्र (आरबीआईएच) सुलभ कर्ज उपलब्ध कराने के लिये सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच तैयार कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बैंक ने आरबीआईएच के साथ मिलकर बैंकों और ग्राहकों के बीच डिजिटल प्रक्रियाओं के माध्यम से निर्बाध कर्ज वितरण के लिये सितंबर, 2022 में पायलट (प्रायोगिक) परियोजना शुरू की थी। इसकी शुरुआत किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) ऋण से हुई।

दास ने कहा कि केसीसी कर्ज के लिये पायलट परियोजना वर्तमान में मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के चुनिंदा जिलों में चल रही है। हाल में गुजरात के चुनिंदा जिलों को डेयरी कर्ज के लिए इसमें शामिल किया गया है। पायलट परियोजना से मिले सबक के आधार पर डिजिटल कर्ज का दायरा बढ़ाने को लेकर आरबीआई अब सार्वजनिक प्रौद्योगिकी मंच विकसित कर रहा है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘‘मंच को पायलट परियोजना के रूप में सोच-विचारकर शुरू करने की योजना है। इसमें खुला ढांचा और मुक्त ‘एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस’ (एपीआई) और मानक होंगे, जिससे वित्तीय क्षेत्र की सभी इकाइयां निर्बाध रूप से जुड़ सकेंगी।

एपीआई एक सॉफ्टवेयर है जो दो एप्लिकेशन को एक दूसरे से बात करने की अनुमति देता है। एपीआई इकाई के भीतर और विभिन्न इकाइयों के बीच आंकड़े प्राप्त करने और साझा करने का एक सुलभ तरीका है। उन्होंने कहा कि इस पहल से वंचित क्षेत्रों में ऋण की पहुंच में तेजी आएगी और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा।

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