'रिजर्व बैंक के उपायों से मिलेगी राहत, पर मांग बढ़ने पर होगा सब कुछ निर्भर'

By भाषा | Published: April 19, 2020 02:36 PM2020-04-19T14:36:23+5:302020-04-19T14:36:23+5:30

रिजर्व बैंक ने दीर्घकालिक रेपो आधारित लक्षित ऋण सुविधा (टारगेटेड एलटीआरओ) के माध्यम से शुक्रवार को 25 हजार करोड़ रुपये की चौथी किस्त प्रणाली में डाल दी। इस तरह रिजर्व बैंक ने टारगेटेड एलटीआरओ के जरिये बाजार में एक लाख करोड़ रुपये डालने का लक्ष्य पूरा कर लिया।

Relief will be provided by RBI measures, but everything will depend on increasing demand: Bhanumurthy | 'रिजर्व बैंक के उपायों से मिलेगी राहत, पर मांग बढ़ने पर होगा सब कुछ निर्भर'

RBI द्वारा उठाए क़दमों से कितनी सफलता मिलेगी, इस बारे में राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) के प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति से पांच सवाल’ और उनके जवाब।

Highlightsरिजर्व बैंक ने शुक्रवार को आर्थिक तंत्र में नकदी बढ़ाने के नये उपायों की घोषणा कीकोरोना वायरस महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पिछले कई दशकों की सबसे बड़ी गिरावट की तरफ बढ़ रही

नयी दिल्ली: कोरोना वायरस महामारी के कारण पिछले कई दशकों की सबसे बड़ी गिरावट की तरफ बढ़ रही अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिये रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को आर्थिक तंत्र में नकदी बढ़ाने के नये उपायों की घोषणा की। इनसे कितनी सफलता मिलेगी, इस बारे में राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान (एनआईपीएफपी) के प्रोफेसर एन आर भानुमूर्ति से पांच सवाल’ और उनके जवाब।

सवाल : आर्थिक तंत्र में नकदी बढ़ाने के रिजर्व बैंक के दूसरे पैकेज से अर्थव्यवस्था को कितना फायदा होगा?

जवाब: लॉकडाउन के दौरान तमाम क्षेत्रों के कामकाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। रिजर्व बैंक के ताजा पैकेज से इन क्षेत्रों के दबाव को कम करने में मदद मिलेगी। रियल एस्टेट क्षेत्र में कामकाज रुका हुआ है, छोटे उद्योगों में उत्पादन कार्य ठप्प सा पड़ा है। उन्हें अपना कर्ज एनपीए होने का डर सता रहा था, उनकी इस चिंता को रिजर्व बैंक ने कम किया है। वहीं बैंकों को कर्ज की वापसी नहीं होने की सूरत में एनपीए बढ़ने और उसके लिये अधिक प्रावधान करने की चिंता थी उसमें भी केन्द्रीय बैंक ने राहत दी है। कुल मिलाकर बैंक और दबाव झेल रहे क्षेत्रों को इस पैकेज से राहत मिलेगी।

सवाल : राज्यों को उनकी बढ़ी खर्च जरूरतों के लिये रिजर्व बैंक ने ज्यादा कर्ज देने की सुविधा उपलब्ध कराई है। क्या यह काफी होगा?

जवाब: राज्यों को इस सुविधा से काफी राहत मिलने की उम्मीद है। लॉकडाउन के दौरान राज्यों की राजस्व प्राप्ति बुरी तरह प्रभावित हो रही है। उनकी आय और व्यय में असंतुलन बढ़ रहा है। माल एवं सेवाकर (जीएसटी) प्राप्ति कम हुई है। इसमें स्वाभाविक रूप से राज्यों का हिस्सा भी कम हुआ है जबकि दूसरी तरफ कोविड- 19 की वजह से अन्य खर्चों के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में खर्च बढ़ रहा है। बहरहाल, रिजर्व बैंक ने राज्यों के लिये उधार की सीमा को मौजूदा 30 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत कर दिया है, इसका उन्हें फायदा मिलेगा। इस सुविधा से राज्यों को 55 से 60 हजार करोड़ रू तक कर्ज उपलब्ध हो सकेगा।

सवाल : क्या अर्थव्यवस्था में कर्ज की मांग बढ़ेगी? जवाब : इसका जवाब लॉकडाउन समाप्त होने के बाद ही मिलेगा। तीन मई के बाद यदि आर्थिक गतिविधियां शुरू होतीं हैं तो स्वाभाविक है कि मांग बढ़ेगी। रिजर्व बैंक ने इन बातों को ध्यान में रखते हुये ही कदम उठाये हैं। बैंकों के रिवर्स रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत कम कर 3.75 प्रतिशत कर दिया। यह कदम बैंकों को उनकी नकदी रिजर्व बैंक के पास रखने से हतोत्साहित करने के लिये उठाया गया है, लेकिन लगता नहीं कि इसका बहुत ज्यादा फायदा होगा। रिजर्व बैंक गवर्नर ने खुद बताया कि 15 अप्रैल की स्थिति के मुताबिक बैंकों ने 6.9 लाख करोड़ रुपये की राशि रिजर्व बैंक के पास रखी है। बैंक बड़ा जोखिम उठाने को फिलहाल तैयार नहीं दिखते हैं।

सवाल : रियल एस्टेट, छोटे उद्योग और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिहाज से क्या कदम रिजर्व बैंक ने उठाये हैं जिनसे उन्हें फायदा होगा?
जवाब : रिजर्व बैंक ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) और राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) को उनके क्षेत्रों से जुड़ी रिण जरूरतों को पूरा करने के लिये कुल 50,000 करोड़ रुपये की विशेष पुनर्वित्त सुविधा उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इसमें से क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, सहकारी बैंकों और सूक्ष्म वित्त संस्थानों (एमएफआई) को पुनर्वित उपलब्ध कराने के लिये नाबार्ड को 25,000 करोड़ रुपये की सुविधा दी जायेगी। वहीं सिडबी को आगे की कर्ज जरूरतों को पूरा करने के लिये 15,000 करोड़ रुपये तथा आवास वित्त कंपनियों की नकदी की तंगी दूर करने के लिये एनएचबी को 10,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराये जायेंगे। केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही दीर्घकालिक लक्षित रेपो परिचालन के दूसरे सेट में 50 हजार करोड़ रुपये की नकदी जारी करने की घोषणा की है। इसके तहत बैंकों को मिलने वाले धन को एनबीएफसी, मध्यम आकार के एनबीएफसी और सूक्ष्म वित्त कंपनियों के निवेश श्रेणी के बॉंड, वाणिज्यिक पेपर और गैर- परिवर्तनीय डिबैंचर में निवेश किया जायेगा। इससे भी धन की उपलब्घता बढ़ेगी। इसके अलावा बैंकों, सहकारी बैंकों को 2019-20 के मुनाफे में से आगे लाभांष का कोई भुगतान नहीं करना होगा। इससे बैंकों का पूंजी संरक्षण बढेगा।

सवाल : अर्थव्यवस्था की बेहतरी के लिये आगे और किस तरह के समर्थन की उम्मीद करते हैं आप? जवाब : सरकार ने इससे पहले गरीबों, बुजुगों और मनरेगा में काम करने वालों के लिये प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत 1.70 लाख करोड़ रुपये का पैकेज जारी किया है। इसके बाद कोविड- 19 की मार झेल रहे अर्थव्यवस्था के कई औद्योगिक क्षेत्र सरकार से राहत की उम्मीद लगाये बैठे हैं। जहां तक आर्थिक वृद्धि का सवाल है, वित्त वर्ष 2019-20 में अंतिम तिमाही में तेज गिरावट का अनुमान है। इस लिहाज से पूरे साल की आर्थिक वृद्धि दर 3.5 से चार प्रतिशत के बीच कहीं रह सकती है। जहां तक चालू वित्त वर्ष 2020- 21 की बात है इसके बारे में फिलहाल कुछ भी कहना मुश्किल है लेकिन यह पिछले तीन दशक में सबसे कम रह सकती है। 

Web Title: Relief will be provided by RBI measures, but everything will depend on increasing demand: Bhanumurthy

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