RBI repo rate: राहत की फुहार, आगे ब्याज दर में एक और कटौती का संकेत?, गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा- और कम होंगे कार और होम लोन

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: April 9, 2025 18:17 IST2025-04-09T18:16:29+5:302025-04-09T18:17:31+5:30

RBI repo rate: आगे यदि कोई और झटका नहीं आता है, एमपीसी सिर्फ दो विकल्पों- ‘यथास्थिति’ या ‘दर में कटौती’ पर विचार करेगी।

RBI repo rate Governor Sanjay Malhotra said car and home loans reduced further sigh relief sign another cut in interest rates | RBI repo rate: राहत की फुहार, आगे ब्याज दर में एक और कटौती का संकेत?, गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा- और कम होंगे कार और होम लोन

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Highlightsरुख को सीधे बाजार में नकदी बढ़ाने की स्थिति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।आमतौर पर उदार, तटस्थ या सख्त के रूप में परिभाषित किया जाता है।आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की जाती है

RBI repo rate: प्रमुख नीतिगत दर रेपो में लगातार दो बार 0.25-0.25 प्रतिशत की कटौती करने के बाद, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने बुधवार को केंद्रीय बैंक के मौद्रिक रुख को ‘तटस्थ’ से बदलकर ‘उदार’ करते हुए आगे ब्याज दर में एक और कटौती का संकेत दिया। इससे ग्राहकों के लिए कर्ज की मासिक किस्त (ईएमआई) में और कमी आ सकती है। अगली द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा छह जून को की जाएगी। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के बाद अप्रैल की मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए मल्होत्रा ​​ने कहा कि आरबीआई के संदर्भ में, मौद्रिक नीति का रुख भविष्य में नीतिगत दरों की इच्छित दिशा का संकेत देता है। उन्होंने कहा, “आगे यदि कोई और झटका नहीं आता है, एमपीसी सिर्फ दो विकल्पों- ‘यथास्थिति’ या ‘दर में कटौती’ पर विचार करेगी।”

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस रुख को सीधे बाजार में नकदी बढ़ाने की स्थिति से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। मौद्रिक नीति रुख पर विस्तार से बात करते हुए मल्होत्रा ​​ने कहा कि अंतर-देशीय परिप्रेक्ष्य से, मौद्रिक नीति रुख को आमतौर पर उदार, तटस्थ या सख्त के रूप में परिभाषित किया जाता है।

उन्होंने कहा कि जहां उदार रुख से तात्पर्य आसान मौद्रिक नीति से है, जो नरम ब्याज दर के माध्यम से अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिए तैयार की जाती है; वहीं ‘सख्ती’ से तात्पर्य संकुचनकारी मौद्रिक नीति से है, जिसके तहत खर्च को नियंत्रित करने और आर्थिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि की जाती है, जिसका उद्देश्य मुद्रास्फीति पर लगाम लगाना होता है।

मल्होत्रा ने कहा कि तटस्थ रुख आमतौर पर अर्थव्यवस्था की उस स्थिति से जुड़ा होता है जिसमें न तो आर्थिक गतिविधि को प्रोत्साहित करने की जरूरत होती है और न ही मांग में कटौती करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने की जरूरत होती है, बल्कि इसमें उभरती आर्थिक स्थितियों के आधार पर किसी भी दिशा में आगे बढ़ने के लिए लचीलापन प्रदान किया जाता है।

फरवरी में एमपीसी ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था। मई, 2020 के बाद यह पहली कटौती थी और ढाई साल बाद पहली बार इसमें संशोधन किया गया था। हालांकि, गवर्नर मल्होत्रा ​​ने कहा कि बाजार में नकदी प्रबंधन मौद्रिक नीति के लिए महत्वपूर्ण है, जिसमें नीति दर से संबंधित निर्णय भी शामिल हैं।

लेकिन यह मौद्रिक नीति संचरण सहित विभिन्न उद्देश्यों के लिए आरबीआई के पास एक परिचालन माध्यम है। उन्होंने कहा, “हालांकि, नीतिगत दर में बदलाव के लिए मौद्रिक नीति के निर्णयों का नकदी प्रबंधन पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह नीतिगत बदलावों को लागू करने का माध्यम है। कुल मिलाकर हमारा रुख नीतिगत दर मार्गदर्शन प्रदान करता है, यह नकदी प्रबंधन पर कोई प्रत्यक्ष मार्गदर्शन नहीं देता है।” 

Web Title: RBI repo rate Governor Sanjay Malhotra said car and home loans reduced further sigh relief sign another cut in interest rates

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