अगले बजट में सरकारी बैंकों को नहीं मिलेगी ‘सरकारी’ पूंजी

By भाषा | Updated: December 12, 2021 11:15 IST2021-12-12T11:15:43+5:302021-12-12T11:15:43+5:30

Public sector banks will not get 'government' capital in the next budget | अगले बजट में सरकारी बैंकों को नहीं मिलेगी ‘सरकारी’ पूंजी

अगले बजट में सरकारी बैंकों को नहीं मिलेगी ‘सरकारी’ पूंजी

नयी दिल्ली, 12 दिसंबर सरकार वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) में पूंजी डालने की कोई घोषणा संभवत: नहीं करेगी।

सूत्रों का कहना है कि बैंकों के फंसे कर्ज में कमी आई है और उनकी वित्तीय स्थिति सुधरी है, ऐसे में सरकार द्वारा बजट में ऐसी किसी घोषणा की संभावना नहीं है।

सूत्रों कहा कि अपने संसाधनों को बढ़ाने के लिए बैंकों को बाजार से धन जुटाने और अपनी गैर-प्रमुख संपत्तियों की बिक्री के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।

चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के लिए 20,000 करोड़ रुपये तय किए हैं।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी, 2022 को नरेंद्र मोदी 2.0 सरकार का चौथा बजट पेश करेंगी।

उल्लेखनीय है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का शुद्ध लाभ बढ़कर 14,012 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। यह सितंबर, 2021 में समाप्त दूसरी तिमाही में और बढ़कर 17,132 करोड़ रुपये हो गया।

चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही का कुल लाभ पिछले पूरे वित्त वर्ष में अर्जित कुल लाभ के बराबर है।

पिछले वित्त वर्ष के दौरान सरकारी बैंकों ने 58,697 करोड़ रुपये का पूंजीगत कोष जुटाया था। यह किसी एक वित्त वर्ष में जुटाई गई सबसे अधिक राशि है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का पूंजी पर्याप्तता अनुपात (सीएआर) जून, 2021 के अंत तक बढ़कर 14.3 प्रतिशत हो गया, जबकि उनका प्रावधान कवरेज अनुपात बढ़कर आठ साल के उच्चस्तर 84 प्रतिशत पर पहुंच गया।

कुछ गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के लिए बैंकों ने 100 प्रतिशत तक प्रावधान किया है।

सरकार ने बैंकों से कहा है कि वे वसूली प्रक्रिया पर ध्यान दें। इससे उनकी वित्तीय सेहत और सुधरेगी।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एनपीए 31 मार्च, 2019 को 7,39,541 करोड़ रुपये था, जो 31 मार्च, 2020 तक घटकर 6,78,317 करोड़ रुपये पर और 31 मार्च, 2021 (अस्थायी आंकड़े) को 6,16,616 करोड़ रुपये पर आ गया।

कोविड-19 महामारी की वजह से 2020-21 में अर्थव्यवस्था में संकुचन के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल लाभ 31,816 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले पांच साल का सबसे ऊंचा स्तर है।

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