नयी दिल्ली, 29 जनवरी भारत को गरीबी उन्मूलन के लिए आर्थिक वृद्धि पर लगातार ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा शुक्रवार को संसद में पेश आर्थिक समीक्षा 2020-21 में कहा गया है कि एक ओर असमानता और सामाजिक-आर्थिक परिणाम तथा दूसरी ओर आर्थिक वृद्धि और सामाजिक-आर्थिक परिणामों को देखा जाए, तो विकसित देशों की तुलना में भारत में इनमें अंतर है।
समीक्षा भारतीय राज्यों में स्वास्थ्य, शिक्षा, अनुमानित जीवन, शिशु मृत्यु दर, जन्म और मृत्यु दर, प्रजनन दर, अपराध, नशीली दवाओं का उपयोग और मानसिक स्वास्थ्य सहित विभिन्न सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के साथ असमानता और प्रति व्यक्ति आय के सह-संबंध की जांच करते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंची है।
यह विश्लेषण दर्शाता है कि आर्थिक वृद्धि और असमानता दोनों का ही सामाजिक-आर्थिक संकेतकों के साथ एक जैसा ही संबंध हैं। इस विश्लेषण के आधार पर आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ‘आर्थिक वृद्धि का गरीबी उन्मूलन पर असमानता के मुकाबले कहीं अधिक प्रभाव पड़ता है।’ आर्थिक प्रगति को राज्यस्तर पर प्रति व्यक्ति आय द्वारा दर्शाया गया है।
समीक्षा कहती है कि समय-समय पर आर्थिक वृद्धि और असमानता के बीच संभावित टकराव उजागर हुआ है। आर्थिक वृद्धि और असमानता के बीच यह टकराव कोविड-19 महामारी के कारण असमानता पर अधिक ध्यान केन्द्रित किए जाने के कारण एक बार फिर जरूरी हो जाता है।
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