नयी दिल्ली, 28 मई दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी की याचिका पर चार जून को सुनवाई करेगा। ओएनजीसी ने यह याचिका उसके काकीनाडा स्थित कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन से प्राकृतिक गैस की बिक्री के लिये जारी निविदा नोटिस पर लगे अंतरिम स्थगन आदेश को हटाने के लिये दायर की है।
सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ को बताया कि यह याचिका उच्च न्यायालय के 20 मई के आदेश के खिलाफ दायर की गई है। गैस बिक्री के लिये ई-नीलामी पर लगाये गये स्थगन के कारण अंतत: सार्वजनिक धन का ही नुकसान हो रहा है।
अदालत ने कहा कि वह मामले पर चार जून को सुनवाई करेगी। यह तिथि 20 मई को पहले ही तय की जा चुकी है जब ई- नीलामी के लिये जारी निविदा को स्थगित कर दिया गया था।
उच्च न्यायालय में यह याचिका तब दाखिल की गई जब उच्चतम न्यायालय ने इस संबंध में दायर की गई ओएनजीसी और केन्द्र की अपील को सुनने से इनकार कर दिया और उनसे अंतरिम आदेश को वापस लेने के लिये उच्च न्यायालय में जाने को कहा।
उच्च न्यायालय ने इससे पहले 20 मई को कहा था कि पहली नजर में याचिकाकर्ता के पक्ष में मामला बनता है। याचिकाकर्ता जीएमआर समूह की दो कंपनियां हैं। बोलियों को अंतिम रूप दिये जाने से उन्हें गंभीर नुकसान हो सकता है, इसलिये संतुलन स्थिति भी उन्हीं के पक्ष में है।
पीठ ने तब कहा था, ‘‘इसलिये हम 12 अप्रैल 2021 को जारी निविदा आमंत्रित करने के नोटिस (एनआईटी) के परिचालन, क्रियान्वयन, उस पर आगे बढ़ने को स्थगित करते हैं, इसके साथ ही एनआईटी में 27 अप्रैल 2021 को जारी किये गये सुधार तथा उसके बाद की ई- नीलामी पर सुनवाई की अगली तिथि तक स्थगन लगाते हैं।’’
इसके बाद न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई चार जून के लिये तय कर दी। यह मामला जीएमआर वेमागिरी पावर जनरेशन लिमिटेड और जीएमआर राजामुंद्री एनर्जी लिमिटेड ने दायर किया जिसमें उन्होंने एनआईटी को चुनौती देते हुये ओएनजीसी के केजी बेसिन से गैस के आवंटन और नये आवंटन को स्थगित रखने का आग्रह किया है।
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