तिलहन व्यापारियों ने जीएम तिलहन की खेती को अनुमति दिए जाने ने की सिफारिश की
By भाषा | Updated: March 17, 2021 21:33 IST2021-03-17T21:33:29+5:302021-03-17T21:33:29+5:30

तिलहन व्यापारियों ने जीएम तिलहन की खेती को अनुमति दिए जाने ने की सिफारिश की
नयी दिल्ली, 17 मार्च तेल तिलहन व्यवसाय के प्रमुख संगठन, सेंट्रल आर्गनाइजेशन फार आयल इंडस्ट्री एंड ट्रेड (सीओओआईटी) ने बुधवार को कहा कि उसने सरकार से देश में अनुवांशिक अभियांत्रिकी से विकसित जीएम तिलहनों की खेती को बढ़ावा देने का आग्रह किया है ताकि घरेलू उत्पादन को बढ़ाया जा सके।
संगठन का कहना है कि खाद्य तेलों के आयात पर भारत की निर्भरता 1994-95 में केवल 10 प्रतिशत थी जो अब बढ़ कर लगभग 70 प्रतिशत हो गई है। इस बात का मुख्य कारण देश में तिलहानों उत्पादन कम होना तथा जीवन स्तर में सुधार और बढ़ती जनसंख्यामांग की वजह से तेलों की खपत का बढ़ना है।
व्यापार मंडल ने एक बयान में कहा, ‘‘घरेलू स्रोतों से खाद्य तिलहन की अपर्याप्त उपलब्धता की वर्तमान स्थिति के तहत, सीओओआईटी ने सुझाव दिया है कि सरकार को देश में जीएम तिलहन की खेती को बढ़ावा देना चाहिए।’’
केन्द्रीय तिलहन उद्योग और व्यापार संगठन (सीओओआईटी) के अध्यक्ष बाबू लाल दाता ने आगाह किया कि यदि उत्पादकता और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई तो आयातित तेल पर निर्भरता काफी बढ़ जाएगी।
दाता ने कहा, ‘‘मौजूदा स्थिति को देखते हुए और उपभोक्ताओं को तत्काल राहत के लिए, सरकार खाद्य तेलों पर लागू पांच प्रतिशत के वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को हटाने पर विचार करे।’’
सीओओआईटी के अनुसार, देश में तिलहन की वार्षिक प्रति व्यक्ति खपत वर्ष 2012-13 के 15.8 किलोग्राम से बढ़कर 19-19.5 किलोग्राम हो गई है। भारत में तिलहन की औसत उपज 1,200 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है जो वैश्विक औसत का लगभग आधा और शीर्ष उत्पादकों के एक तिहाई से भी कम है।
संगठन तिलहन क्षेत्र से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए दिल्ली में 20 मार्च को राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित की है। 1958 में स्थापित, सीओओआईटी वनस्पति तेल क्षेत्र के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।