मनमोहन सरकार में मोदी सरकार से ज्यादा विकास दर बताने वाली रिपोर्ट पर NSC ने पब्लिक से माँगा कमेंट
By भाषा | Updated: August 23, 2018 19:47 IST2018-08-23T19:47:29+5:302018-08-23T19:47:50+5:30
सरकार ने हालांकि कहा है कि जीडीपी की पिछली श्रृंखला रिपोर्ट-2011 आधिकारिक दस्तावेज नहीं है और उसने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है।

manmohan singh and narendra modi
नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग (एनएससी) ने एक समिति की उस रिपोर्ट पर सार्वजनिक टिप्पणियां मांगी हैं, जिसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने कांग्रेस के शासनकाल में सबसे तीव्र वृद्धि हासिल की। इन आंकड़ों को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया।
एनएससी द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट को पिछले सप्ताह ही सार्वजनिक किया गया।
सरकार ने हालांकि कहा है कि जीडीपी की पिछली श्रृंखला रिपोर्ट-2011 आधिकारिक दस्तावेज नहीं है और उसने अभी तक इसे स्वीकार नहीं किया है। केंद्र ने यह भी कहा है कि अभी यह रिपोर्ट विचार विमर्श के स्तर पर है और इसे स्वीकार किया जाना व्यापक विचार विमर्श पर निर्भर करेगा।
सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर उस खंड में डाला है जिसमें रिपोर्ट के मसौदे पर टिप्पणियां आमंत्रित की जाती हैं। आयोग ने कहा, ‘‘एनएससी इस रिपोर्टों पर 30 सितंबर, 2018 तक सुझाव और टिप्पणियां आमंत्रित करता है।’’
पहले यह रिपोर्ट प्रकाशन खंड में डाली गई थी। इसके बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा था कि यह रिपोर्ट उसकी आर्थिक नीतियों का समर्थन करती है।
इस रिपोर्ट के मसौदे के अनुसार वित्त वर्ष 2006-07 में मनमोहन सिंह के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था ने 10.08 प्रतिशत की ऊंची वृद्धि दर्ज की थी। यह 1991 में अर्थव्यवस्था के उदारीकरण के बाद सबसे ऊंची वृद्धि दर है।
आजादी के बाद सबसे ऊंची वृद्धि दर 1988-89 में दर्ज हुई थी। उस समय राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे। पिछली श्रृंखला के आंकड़ों पर तैयार जीडीपी रिपोर्ट वास्तविक क्षेत्र सांख्यिकी पर गठित समिति ने तैयार की है।
इन रिपोर्टों में पुरानी श्रृंखला (2004-05) और नई श्रृंखला (2011-12 के मूल्य) की वृद्धि दर की तुलना की गई है।
कांग्रेस पार्टी ने ट्वीट में कहा था कि जीडीपी के पिछली श्रृंखला के आंकड़े आखिर आ गए हैं। इसमें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दस साल के कार्यकाल में औसत वृद्धि दर 8.1 प्रतिशत रही है जबकि नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में यह औसतन 7.3 प्रतिशत है।