केवल दबी मांग ही नहीं, नई मांग आने से भी अर्थव्यवस्था में हो रहा तेज सुधार: सीतारमण

By भाषा | Updated: December 4, 2020 23:22 IST2020-12-04T23:22:45+5:302020-12-04T23:22:45+5:30

Not only suppressed demand, fast improvement is also happening in the economy due to new demand: Sitharaman | केवल दबी मांग ही नहीं, नई मांग आने से भी अर्थव्यवस्था में हो रहा तेज सुधार: सीतारमण

केवल दबी मांग ही नहीं, नई मांग आने से भी अर्थव्यवस्था में हो रहा तेज सुधार: सीतारमण

नयी दिल्ली, चार दिसंबर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार उम्मीद से अधिक बनी हुई है। इसकी वजह सिर्फ पहले की दबी मांग का निकलना ही नहीं बल्कि नई मांग आना भी है।

उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में यह सुधार टिकाऊ होगा। अगले दो महीनों में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश होना है। इसके विस्तार में जाए बिना सीतारमण ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक और सरकार जल्द से जल्द अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।

मुद्रास्फीति के ऊंचे बने रहने के चलते भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा। इस पर वित्त मंत्री ने कहा कि मुद्रास्फीति में यह तेजी मौसमी है और इसे लेकर वह प्रत्यक्ष तौर पर चिंतित नहीं है।

वित्त मंत्री ‘एचटी लीडरशिप समिट’ सम्मेलन में बोल रही थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुद्रास्फीति विशेषकर खाद्य वस्तुओं के दाम में बढ़ोत्तरी नरम पड़ जाएगी। मैं इसे महंगाई के तौर पर नहीं देखती, विशेष तौर पर खाद्य सामग्री पर, जहां यह ऊपर बनी हुई है, वहां यह नीचे आ जाएगी।’’

जुलाई-सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था में गिरावट 7.5 प्रतिशत रह जाना उम्मीद से थोड़ी बेहतर स्थिति है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह लॉकडाउन की अवधि में दबी हुई मांग और त्यौहारी मांग का बाजार में बढ़ना है। उनका मानना है कि त्यौहारी मौसम खत्म होने के बाद अर्थव्यवस्था में यह सुधार औंधे मुंह गिर पड़ेगा।

हालांकि, सीतारमण ने कहा कि दो महीनों में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह एक लाख करोड़ रुपये पर रहा है। वहीं बुनियादी क्षेत्रों में काम करने वाली कंपनियों की विस्तार योजनाएं दिखाती हैं कि अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त मांग है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं दावे से नहीं कह सकती कि पिछले दो महीनों में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक का जीएसटी संग्रह सिर्फ दबी हुई मांग और त्यौहारी मांग के चलते हुए है, क्योंकि मैंने कई उद्योगपतियों से भी चर्चा की है जो अपनी क्षमता विस्तार की योजना पर काम कर रहे हैं।’’

सीतारमण ने जोर देकर कहा, ‘‘ सीमेंट, लौहा और इस्पात जैसे बुनियादी उद्योग विस्तार कर रहे हैं। यह दिखाता है कि अतिरिक्त मांग पैदा हुई है। यह सिर्फ त्यौहार के चलते हुई खरीदारी बढ़ोत्तरी या दबी हुई मांग का वापस आना नहीं हो सकता है। यह स्थायी रहने वाली मांग दिखती है।’’

भारतीय रिजर्व बैंक ने भी शुक्रवार को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा की। इस दौरान केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था के 7.5 प्रतिशत सिकुड़ने का अनुमान जताया है। यह उसके अक्टूबर के 9.5 प्रतिशत संकुचन रहने के अनुमान से बेहतर स्थिति को दर्शाता है।

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