नई दिल्लीः केंद्र ने दिव्यांगजनों के अनुकूल एम्बुलेंस, घायलों को प्राथमिकता के आधार पर निकालने, प्रथम प्रतिक्रिया देने वाले प्रशिक्षित लोगों, सुलभ सार्वजनिक परिवहन और सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ितों के लिए व्यापक पुनर्वास योजनाओं को अनिवार्य बनाने हेतु मसौदा दिशानिर्देश प्रस्तावित किए हैं। वास्तविक समय पर अलर्ट जारी करने और सुव्यवस्थित मुआवजे के दावों के लिए दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) द्वारा तैयार मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को दुर्घटना रिपोर्टिंग डेटाबेस और विशिष्ट दिव्यांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी) प्रणाली के साथ जोड़ा जाता है।
सार्वजनिक परामर्श के लिए ये मसौदा दिशानिर्देश पिछले महीने जारी किए गए थे। यह मसौदा उच्चतम न्यायालय के 2014 के निर्देश के अनुपालन में तैयार किया गया है, जिसमें सरकार को सड़क सुरक्षा और आघात के बाद की देखभाल के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का दायित्व सौंपा गया था।
यह सड़क दुर्घटनाओं के पीड़ित दिव्यांगजनों की पहचान, तत्काल चिकित्सा प्रतिक्रिया, पुनर्वास और दीर्घकालिक सामाजिक एकीकरण के लिए एक रूपरेखा तैयार करता है। एसओपी के अनुसार, सभी नए और पुनर्निर्मित सड़क एवं परिवहन बुनियादी ढांचे को दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम, 2016 और संबंधित भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) संहिताओं का पालन करना होगा। इसमें स्पर्शनीय फर्श, रैंप, सुगम्य क्रॉसिंग, श्रव्य संकेत, लो-फ्लोर बसें और प्राथमिकता वाली सीटें शामिल हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नियमित रूप से सुगमता ऑडिट करना आवश्यक होगा।