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मोदी ने सरकारी प्रतिभूतियों में खुदरा निवेशकों की भागीदारी के लिए आरबीआई की योजना का शुभारंभ किया

By भाषा | Updated: November 12, 2021 16:32 IST

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नयी दिल्ली, 12 नवंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी प्रतिभूति बाजार में खुदरा निवेशकों को भागीदारी का अवसर देने तथा शिकायत निपटान प्रणाली में सुधार के लिए शुक्रवार को रिजर्व बैंक की दो उपभोक्ता-केंद्रित योजनाओं का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये शुभारंभ किया। इन योजनाओं से वित्तीय समावेशन भी मजबूत होगा।

इस कार्यक्रम में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास भी मौजूद थे।

भारतीय रिजर्व बैंक की दो अभिनव उपभोक्ता केंद्रित पहल... खुदरा प्रत्यक्ष योजना और केंद्रीय एकीकृत लोकपाल योजना की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इन योजनाओं से निवेश का दायरा बढ़ेगा और ग्राहक शिकायत समाधान प्रणाली को बेहतर किया जा सकेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘खुदरा प्रत्यक्ष योजना से छोटे निवेशकों की पहुंच बढ़ेगी और वे प्रतिभूतियों में निवेश कर निश्चित प्रतिफल प्राप्त कर सकेंगे। इससे सरकार को भी राष्ट्र निर्माण के लिए कोष उपलब्ध होगा।’’

रिजर्व बैंक की एकीकृत लोकपाल योजना (आरबी-आईओएस) का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि इसका मकसद शिकायत समाधान प्रणाली को और बेहतर करना है। इससे केंद्रीय बैंक के नियमन के तहत आने वाली इकाइयों के खिलाफ ग्राहकों की शिकायतों का समाधान बेहतर तरीके से हो सकेगा।

एकीकृत लोकपाल योजना के तहत अन्य लोकपाल योजनाओं को इसमें समाहित किया जाएगा। इससे समूचे वित्तीय क्षेत्र के लिए एक लोकपाल प्रणाली होगी।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘इस योजना से ‘एक राष्ट्र-एक लोकपाल’ की अवधारणा वास्तविकता बन गई है।’

मोदी ने कहा कि किसी भी लोकतंत्र में शिकायत समाधान प्रणाली मजबूत होनी चाहिए। एकीकृत लोकपाल योजना से दीर्घावधि में इस दिशा में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा कि इसी तरह खुदरा प्रत्यक्ष योजना से अर्थव्यवस्था में सभी का समावेशन हो सकेगा। ‘‘इससे मध्यम वर्ग, कर्मचारी, छोटे व्यापारी और वरिष्ठ नागरिक अपनी छोटी बचत को सीधे और सुरक्षित तरीके से सरकारी प्रतिभूतियों में लगा सकेंगे। सरकारी प्रतिभूतियों में गारंटी वाले समाधान का प्रावधान होता है। इससे छोटे निवेशकों को सुरक्षा का भरोसा दिया जा सकेगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक मजबूत बैंकिंग प्रणाली अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मोदी ने बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार के पिछले सात साल के कार्यकाल के दौरान बैंकों की गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) की पहचान पारदर्शी तरीके से हो रही है और समाधान और वसूली (रिकवरी) पर ध्यान दिया जा रहा है।

उन्होंने पिछले वर्षों के दौरान वित्तीय क्षेत्र में समावेशन सहित प्रौद्योगिकी के एकीकरण का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कोविड के मुश्किल समय में हमने उनकी ताकत देखी है। रिजर्व बैंक के फैसलों से सरकार द्वारा हाल के समय में लिए गए बड़े निर्णयों का प्रभाव बढ़ाने में भी मदद मिली है।’’

उन्होंने कहा कि बैंक, पेंशन और बीमा क्षेत्र छह-सात साल पहले भारत में लोगों की पहुंच से दूर होते थे। ‘‘ये सभी सुविधाएं देश के आम नागरिकों, गरीब परिवारों, किसानों, छोटे व्यापारियों, महिलाओं, दलितों और पिछड़े वर्ग के लोगों को सुलभ नहीं थीं।’’

पुरानी प्रणाली की आलोचना करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘जिन लोगों पर इन सुविधाओं को गरीबों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया। इसके उलट बहाने बनाए जाते रहे। उस समय बैंक शाखा नहीं होने, कर्मचारी नहीं होने, इंटरनेट नहीं होने, जागरूकता नहीं होने या विचार नहीं होने का हवाला दिया जाता था।’’

वित्तीय प्रौद्योगिकी के महत्व को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि ‘यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस’ यानी यूपीआई ने छोटे से समय में भारत को डिजिटल लेनदेन वाला अगुवा देश बना दिया है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सात साल में भारत में डिजिटल लेनदेन 19 गुना बढ़ा है। ‘‘आज हमारी बैंकिंग प्रणाली चौबीसों घंटे, सातों दिन और 12 महीने देश में कहीं से भी किसी भी समय काम कर रही है।’’

महामारी के दौरान वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक जैसे संस्थानों के प्रयासों की सराहना करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘अमृत महोत्सव की यह अवधि, 21वीं सदी का यह दशक देश के विकास की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। ऐसी स्थिति में रिजर्व बैंक की भूमिका और बढ़ जाती है। मुझे विश्वास है कि टीम आरबीआई देश की उम्मीदों पर खरा उतरेगी।’’

उन्होंने वित्तीय बाजारों में निवेशकों का भरोसा और विश्वास बढ़ाने पर भी जोर दिया।

इस मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक के समन्वित प्रयासों की वजह से आज महामारी से प्रभावित अर्थव्यवस्था पुनरुद्धार की राह पर है।

उन्होंने कहा कि इन्हीं प्रयासों की वजह से ही आज अर्थव्यवस्था में उम्मीद से अधिक तेजी से पुनरुद्धार हो रहा है।

सीतारमण ने कहा कि खुदरा प्रत्यक्ष योजना से खुदरा भागीदारी बढ़ेगी, बांड बाजार मजबूत होगा।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक अपनी सेवाओं की दक्षता को सुधारने के लिए प्रौद्योगिकी और नवोन्मेषण का उपयोग कर रहा है।

दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक वित्तीय समावेशन को और गहरा करने के लिए काम कर रहा है और जन केंद्रित कदम उठा रहा है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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