कई जिलों में आर्थिक गतिविधियों के उच्चस्तर के बावजूद बैंक शाखाओं की कमी : सीतारमण

By भाषा | Published: September 26, 2021 05:22 PM2021-09-26T17:22:43+5:302021-09-26T17:22:43+5:30

Lack of bank branches in many districts despite high level of economic activity: Sitharaman | कई जिलों में आर्थिक गतिविधियों के उच्चस्तर के बावजूद बैंक शाखाओं की कमी : सीतारमण

कई जिलों में आर्थिक गतिविधियों के उच्चस्तर के बावजूद बैंक शाखाओं की कमी : सीतारमण

मुंबई, 26 सितंबर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वित्तीय समावेशन पर विशेष ध्यान देने तथा आर्थिक गतिविधियों के उच्चस्तर के बावजूद देश के कई जिले ऐसे हैं, जहां बैंकिंग सुविधाओं का अभाव है।

उन्होंने रविवार को इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (आईबीए) की 74वीं वार्षिक आमसभा को संबोधित करते हुए कहा कि इन जिलों में आर्थिक गतिविधियों का स्तर काफी ऊंचा है, लेकिन बैंकिंग उपस्थिति काफी कम है।

सीतारमण ने बैंकों से कहा कि वे अपनी मौजूदगी को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर करें।

उन्होंने बैंकों से कहा कि उनके पास विकल्प है कि वे या तो ऐसे जिलों में गली-मोहल्ले के मॉडल के अनुरूप पूर्ण रूप से शाखा खोल सकते हैं या फिर कोई ‘आउटपोस्ट’ बना सकते हैं जहां लोगों की बैंकिंग जरूरतों को पूरा किया जा सके। उन्होंने इस बात पर हैरानी जताई कि कैसे ऊंची आर्थिक गतिविधियों वाले क्षेत्रों में बैंक नहीं पहुंचे हैं।

उल्लेखनीय है कि नीति निर्माता एक दशक से अधिक से वित्तीय समावेशन पर जोर दे रहे हैं। नीति निर्माताओं ने 2,000 से अधिक आबादी वाले प्रत्येक गांव में बैंकिंग उपस्थिति सुनिश्चित करने का लक्ष्य तय किया है। कुछ साल पहले भारतीय रिजर्व बैंक ने भी बैंक शाखा खोलने के नियमों को उदार किया है।

सीतारमण ने कहा, ‘‘आज भी कई जिले, यहां तक कि बड़ी पंचायतों वाले जिले ऐसे हैं जहां बैंक नहीं है। कई-कई जिलों में भौतिक रूप से एक बैंकिंग संस्थान नहीं है।’’

उन्होंने आईबीए के सदस्यों से कहा कि वे डिजिटल तरीके से सभी जिलों का नक्शा बनाएं और देखें कि किन क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का दायरा काफी कम है। वे ऐसे क्षेत्रों में पूर्ण शाखा या आउटपोस्ट के लिए प्रावधान करें।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘आप आर्थिक गतिविधियों का केंद्र देखें। चाहे वह ग्रामीण पॉकेट हो, लेकिन वहां आर्थिक गतिविधियां काफी मजबूत हों, तो आपको विचार करना होगा कि क्या वहां आपकी उपस्थिति होनी चाहिए।’’

वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि वह डिजिटलीकरण के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि देश के कुछ हिस्सों में गली-मोहल्ले की दुकानों जैसी छोटी बैंक शाखा भी नहीं हैं।

उन्होंने एक सांसद का उदाहरण दिया जो कृषि सबंधित व्यापार और थोक गतिविधियों वाले एक क्षेत्र में बैंक शाखा की मांग उठा रहे हैं। उनका कहना है कि स्थानीय लोगों को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए मीलों चलना पड़ता है।

प्रधानमंत्री जन धन योजना की सराहना करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि लाखों नए खाते खोले गए। उन्होंने अपनी यह इच्छा भी दोहराई कि पूर्वी क्षेत्र को अधिक ऋण मिलना चाहिए।

वित्त मंत्री के संबोधन के बाद जारी बयान में एचडीएफसी बैंक ने कहा कि वह अपनी ग्रामीण पहुंच को दोगुना कर अगले दो साल में दो लाख गांवों तक पहुंचाएगा। इसके अलावा बैंक ने अगले छह माह में 2,500 लोगों की नियुक्ति करने की भी घोषणा की।

इस बीच, सीतारमण ने कहा कि आगामी राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्गठन कंपनी को ‘बैड बैंक’ नहीं कहा जाना चाहिए, जैसा अमेरिका में कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि आज बैंकों का बही-खाता अधिक साफ-सुथरा है। इससे सरकार पर बैंकों के पुनर्पूंजीकरण का बोझ कम होगा। सीतारमण ने कहा कि कि बैंकों को तेज-तर्रार बनने की जरूरत है। उन्हें प्रत्येक इकाई की जरूरत को समझना होगा जिससे 2030 तक 2,000 अरब डॉलर और चालू वित्त वर्ष में 400 अरब डॉलर के निर्यात लक्ष्य को हासिल किया जा सके।

वित्त मंत्री ने कहा कि विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) के निर्माण के लिए कानूनी रूपरेखा अभी जारी है। उन्होंने कहा कि हमें इस तरह की इकाइयों की निजी क्षेत्र और सरकार समर्थित क्षेत्र दोनों में जरूरत है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि निजी डीएफआई तथा सरकारी डीएफआई के बीच मजबूत प्रतिस्पर्धा होगी। उन्होंने कहा कि सिर्फ इससे ही परियोजनाओं के लिए ऋण की निचली लागत सुनिश्चित की जा सकेगी।

सीतारमण ने महामारी के दौरान जान गंवाने वाले बैंक कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने ऐसे कठिन समय में वित्तीय प्रणाली को कायम रखने के उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बैंकों से कहा कि वे आम जनता तक आवश्यक जानकारी पहुंचाने के लिए अपने कॉरपोरेट संचार कामकाज को बेहतर करें।

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