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धन का महत्तम उपयोग में अड़चनों को दूर करने पर श्रम मंत्रालय को ध्यान देना चाहिये: संसदीय समिति

By भाषा | Updated: March 16, 2021 20:12 IST

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नयी दिल्ली, 16 मार्च संसद की एक समिति ने श्रम मंत्रालय से कहा है कि वह विशेष रूप से महामारी के दौरान उपलब्ध धन के इष्टतम उपयोग में बुनियादी ढांचे या प्रक्रिया संबंधी बाधाओं पर गंभीरता से गौर करे।

मंत्रालय के लिए वर्ष 2020-21 की अनुदान मांगों पर श्रम मामलों पर संसद की स्थायी समिति द्वारा संसद में मंगलवार को पेश 17 वीं रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, अनुदानों की पहली अनुपूरक मांग में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के लिए 4,860 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, लेकिन 15 फरवरी, 2021 तक केवल 2,566 करोड़ रुपये को खर्च किए जा सके, जो केवल 52.8 प्रतिशत धनराशि के उपयोग को दर्शाता है।

समतित ने उल्लेख किया है कि संशोधित बजट अनुमानप में इस योजना के लिए आवंटन को घटाकर 2,600 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

इसके अतिरिक्त आरई चरण में आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एबीआरवाई) के लिए 1,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

पिछले साल 25 मार्च को, सरकार ने कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया था, जिसने देश भर में आर्थिक गतिविधियों को सुस्त कर दिया था।

रपट के अनुसा वर्ष 2020-21 के लिए धन के उपयोग के योजनावार विश्लेषण (18 फरवरी, 2021 तक) से पता चला कि संशोधित अनुमान की तुलना में कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) और पीएमजीकेवाई केवल दो ऐसी योजनाएं हैं, जिनमें क्रमशः 100 प्रतिशत और 109.62 प्रतिशत तक खर्च किया गया। अन्य योजनाओंमें धन के उपयोग का प्रतिशत 70-80 प्रतिशत की सीमा तक रहा है।

असम में चाय बागान श्रमिकों के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (एनसीएलपी) और सामाजिक सुरक्षा योजना के मामले में उपयोग 24.52 प्रतिशत और 30 प्रतिशत ही रहा।

समिति ने सुझाव दिया है कि मंत्रालय का प्रयास सभी तिमाहियों में बजट कोष का समान रूप से उपयोग करने के लिए होना चाहिए। मंत्रालय को आखिरी तिमाही के दौरान खर्च बढ़ाने का सहारा लेने से बचना चाहिये।

समिति ने यह भी देखा कि निधियों के कम उपयोग ने कुछ योजनाओं के प्रदर्शन को प्रभावित किया है, और इस प्रकार इन योजनाओं द्वारा लक्षित समूह को लाभ पहुंचाने के प्रशंसनीय उद्येश्यों पर पानी फेरा है।

समिति ने मंत्रालय को कार्यान्वयन मशीनरी को बेहतर बनाने के लिए कार्य करने पर जोर दिया और विशेष रूप से इन महत्वपूर्ण समय के दौरान अधिक दक्षता लाने के लिए काम करने को कहा।

प्रधान मंत्री श्रम योगी मान-धन योजना (पीएमएसवाईएम) के संबंध में, यह पाया गया कि जहां नये नामांकन के लिए दो करोड़ का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, वहीं पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या 1,18,375 ही है।

नामांकन के निम्न स्तर के कारण के बतौर मुख्य रूप से महामारी के प्रकोप फैलने को जिम्मेदार ठहराया गया है।

इसी प्रकार, व्यापारियों, दुकानदारों और स्व-नियोजित व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना के लिए, 50 लाख लाभार्थियों के लक्ष्य के मुकाबले नामांकन मात्र 6,213 लोगों का ही किया गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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