उद्योग निकाय इस्मा ने बुधवार को कहा कि गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) में पांच रुपये क्विंटल की बढ़ोतरी से मिल मालिकों पर बोझ नहीं पड़ेगा। लेकिन संगठन ने चीनी मिलों की नकदी की स्थिति में सुधार के लिये चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य मौजूदा 31 रुपये से बढ़ाकर 34.5 - 35 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग की। इससे पहले दिन में, सरकार ने लगभग पांच करोड़ गन्ना उत्पादकों की आय बढ़ाने के लिए गन्ना एफआरपी को पांच रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल करने की घोषणा की। भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने एक बयान में कहा कि चीनी उद्योग, विपणन वर्ष 2021-22 के लिए गन्ना एफआरपी को पांच रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 290 रुपये प्रति क्विंटल करने के सरकार के फैसले से अधिक बोझ महसूस नहीं करेगा। वर्मा ने कहा कि एफआरपी में वृद्धि के साथ, चीनी उद्योग उम्मीद करेगा कि सरकार चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में भी वृद्धि करेगी ताकि चीनी मिल मालिकों को मौजूदा और अगले सत्र में भी किसानों को अधिक गन्ना मूल्य भुगतान को समायोजित करने में मदद मिल सके। उन्होंने कहा, ‘‘चीनी का एमएसपी 30 महीने से अधिक समय से स्थिर बना हुआ है, भले ही गन्ने के एफआरपी में वर्ष 2020-21 में 10 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई हो।’’ उन्होंने आगे कहा कि मंत्रियों के समूह, नीति आयोग, सचिवों की समिति और कई राज्य सरकारों ने पिछले साल मार्च और जुलाई 2020 के बीच चीनी के एमएसपी में वृद्धि की बात की थी। वर्मा ने कहा, ‘‘...हमें उम्मीद है कि सरकार इन सिफारिशों पर ध्यान देगी और चीनी के एमएसपी को 34.50 - 35 रुपये प्रति किलो तक बढ़ाएगी।’’ इस्मा ने आगे कहा कि चीनी एमएसपी के 34.50-35 रुपये प्रति किलोग्राम तक बढ़ने से चीनी की कीमत पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और निश्चित रूप से इससे किसी भी तरह की महंगाई नहीं बढ़ेगी।
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