जुलाई के पहले दिन खूब बरसा पैसा?, जून में जीएसटी संग्रह 6.2% बढ़कर 1.85 लाख करोड़ रुपये
By सतीश कुमार सिंह | Updated: July 1, 2025 17:49 IST2025-07-01T16:55:41+5:302025-07-01T17:49:33+5:30
वित्त वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो वित्त वर्ष 2021 में 11.37 लाख करोड़ रुपये था।

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नई दिल्लीः जुलाई के पहले दिन खूब पैसा बरसा और मोदी सरकार की झोली भर गई। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जून महीने में भारत का सकल वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 1.85 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 6.2% की वृद्धि दर्शाता है। हालांकि, महीने-दर-महीने जून में जीएसटी संग्रह में गिरावट आई, क्योंकि अप्रैल 2025 में रिकॉर्ड 2.37 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए गए, इसके बाद मई में 2.01 लाख करोड़ रुपये एकत्र किए गए। जीएसटी के 8 साल पूरे होने पर सरकार ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में संग्रह दोगुना हो गया है।
वित्त वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो वित्त वर्ष 2021 में 11.37 लाख करोड़ रुपये था। वित्त वर्ष 2025 में संग्रह वित्त वर्ष 2024 में एकत्र 20.18 लाख करोड़ रुपये की तुलना में 9.4% की साल-दर-साल वृद्धि दर्शाता है, जो जुलाई 2017 में अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के रोलआउट के बाद से अब तक का सबसे अधिक वार्षिक जीएसटी संग्रह है।
एक साल पहले इसी महीने में यह 1,73,813 करोड़ रुपये था। मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह पिछले महीने 2.01 लाख करोड़ रुपये रहा। इस वर्ष अप्रैल में जीएसटी संग्रह 2.37 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गया था।
घरेलू लेनदेन से सकल राजस्व जून में 4.6 प्रतिशत बढ़कर करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये हो गया, जबकि आयात से जीएसटी राजस्व 11.4 प्रतिशत बढ़कर 45,690 करोड़ रुपये रहा। सकल केंद्रीय जीएसटी राजस्व जून में 34,558 करोड़ रुपये, राज्य जीएसटी राजस्व 43,268 करोड़ रुपये और एकीकृत जीएसटी राजस्व करीब 93,280 लाख करोड़ रुपये रहा।
उपकर से राजस्व 13,491 करोड़ रुपये रहा। इस बीच, जून में कुल ‘रिफंड’ 28.4 प्रतिशत बढ़कर 25,491 करोड़ रुपये हो गया। शुद्ध जीएसटी संग्रह सालाना आधार पर 3.3 प्रतिशत बढ़कर 1.59 लाख करोड़ रुपये रहा।
जीएसटी ऐतिहासिक सुधार, भारत के आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दिया: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था एक ऐतिहासिक सुधार है जिसने भारत के आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दिया है। उन्होंने जीएसटी लागू होने के आठ साल पूरे होने के मौके पर सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘अनुपालन बोझ को कम करके, इसने खासकर छोटे और मझोले उद्यमों के लिए कारोबार को सुगम बनाया है।
जीएसटी ने आर्थिक वृद्धि के लिए एक शक्तिशाली इंजन के रूप में काम करने के साथ भारत के बाजार को एकीकृत करने की इस यात्रा में राज्यों को समान भागीदार बनाकर सही मायने में सहकारी संघवाद को बढ़ावा दिया है।’’ सरकार ने कहा कि 17 करों और 13 उपकरों को शामिल कर एक जुलाई, 2017 से लागू जीएसटी ने अनुपालन को सरल और कर प्रणालियों को डिजिटल बनाकर एक निर्बाध राष्ट्रीय बाजार बनाने में मदद की है। साथ ही इसने करदाता आधार का भी विस्तार किया है और सहकारी संघवाद को मजबूत किया है।
संचालन के पहले वर्ष (नौ महीने) में सकल जीएसटी संग्रह 7.40 लाख करोड़ रुपये था। पिछले कुछ वर्षों में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2024-25 में सकल जीएसटी संग्रह रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो सालाना आधार पर 9.4 प्रतिशत की वृद्धि है।
यह वृद्धि अर्थव्यवस्था के संगठित होने और बेहतर कर अनुपालन को बताती है। वित्त मंत्रालय ने कहा कि माल एवं सेवा कर के लागू होने के बाद से सालाना जीएसटी राजस्व लगभग तीन गुना हो गया है। यह वित्त वर्ष 2017-18 के सात लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024-25 में 22 लाख करोड़ रुपये पहुंच गया।