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भारतीय शेयर बाजार ने हॉन्ग कॉन्ग को पछाड़ा, वैश्विक स्तर पर प्राप्त किया चौथा स्थान

By आकाश चौरसिया | Published: January 23, 2024 10:18 AM

भारतीय शेयर बाजार ने पहली बार 5 दिसंबर, 2023 में 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का मार्केट कैप हासिल किया था। ये बढ़त भारतीय स्टॉक मार्केट को पिछले 4 साल में हुई है।

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ठळक मुद्देभारतीय शेयर बाजार हॉन्ग कॉन्ग को पछाड़ कर चौथा बड़ा वैश्विक मार्केट बन गया हैशेयर मार्केट में भारतीय एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयर का मूल्य 4.33 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर पहुंचाहॉन्ग-कॉन्ग के संयुक्त रूप से लिस्टेड शेयर का संयुक्त मूल्य 4.29 अमेरिकी डॉलर

नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार ने हॉन्ग कॉन्ग को पछाड़ कर चौथा बड़ा वैश्विक मार्केट बन गया है। इस बात की जानकारी ब्लूमबर्ग ने दी है। सोमवार को बंद हुए शेयर मार्केट के अनुसार भारतीय एक्सचेंज पर सूचीबद्ध शेयर का एकत्रित मूल्य 4.33 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। वहीं, हॉन्ग-कॉन्ग के संयुक्त रूप से लिस्टेड शेयर का संयुक्त मूल्य 4.29 अमेरिकी डॉलर है। 

भारतीय शेयर बाजार ने पहली बार 5 दिसंबर, 2023 को 4 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का मार्केट कैप हासिल किया था। ये बढ़त भारतीय स्टॉक मार्केट को पिछले 4 साल में हुई है। पिछले 12 महीने उन निवेशकों के लिए शानदार रहे हैं जिन्होंने भारतीय शेयरों में अपना पैसा लगाया। हालांकि कुछ उथल-पुथल रही है, वर्ष 2023 ने शेयर बाजार के निवेशकों को अच्छा मौद्रिक लाभांश दिया। 2023 में ही सेंसेक्स और निफ्टी में भी 17-18 फीसदी की बढ़त देखी गई थी और जबकि, 2022 में इन्हें महज 3-4 फीसदी का फायदा हुआ।

पहले 3 स्टॉक मार्केटवहीं, पहले तीन स्टॉक मार्केट की बात की जाए तो इसमें अमेरिका, चीन और जापान का स्थान आता है। अनुमानित डेटा के मुताबिक, पिछले कुछ सालों में हॉन्ग-कॉन्ग के हेंस सेंगे इंडेक्स में 32-33 फीसदी की गिरावट आई है। 

जीडीपी की वृद्धि का अनुमान लगाया है, इसमें मुद्रास्फीति का भी प्रबंधनीय स्तर रहने वाला है। इसके साथ ही सरकार की स्थिरता और संकेत कि दुनिया भर में केंद्रीय बैंकों ने अपनी मौद्रिक नीति को सख्ती से अपनाया और इसी का परिणाम रहा कि भारत की सुनहरी तस्वीर देखने को मिल सकती है। इसी कारण कई एजेंसियों ने कहती आई हैं कि भारत का भविष्य उज्जवल है और सबसे तेजी के साथ भारत की इकोनॉमी बढ़ने की उम्मीद जताई है। इस बात की जानकारी फ्री प्रेस जनरल की रिपोर्ट में है। 

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट की मानें तो कोरोना वायरस के बढ़ने से चीन की तरफ निवेशकों का रुझान कम हुआ और इसका विकल्प भारत की तरफ बढ़ा। इससे हुआ ये कि वैश्विक निवेशकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई और इसके साथ केंद्र सरकार के स्तर पर स्थिरता भी बड़ा कारण है। 

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