लाइव न्यूज़ :

भारत 2030 तक बन सकता है 10 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था, सार्वजनिक कर्ज को करना होगा कम

By भाषा | Published: December 15, 2018 6:05 PM

मुख्य मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 2.33 प्रतिशत पर आ गयी जो 17 महीने का न्यूनतम स्तर है। इसका मुख्य कारण अनुकूल तुलनात्मक आधार तथा सब्जी तथा अनाज के दाम में कमी है। सचिव ने यह भी कहा कि अगर कुछ चिंताओं को दूर कर दिया जाए तो भारत 2030 तक 10,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।

Open in App

आर्थिक मामलों के सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने शनिवार को कहा कि सार्वजनिक कर्ज पहले से ऊंचा बना हुआ है और अगले चार-पांच साल में इसे कम करने की आवश्यकता है।

राजकोषीय घाटा जीडीपी के तीन प्रतिशत के अनुकूल स्तर की ओर बढ़ने तथा मुद्रास्फीति नरम होने को रेखांकित करते हुए गर्ग ने यह भी कहा कि वृहत आर्थिक मानकों पर देश की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है और इस मामले में भारत दुनिया सबसे अच्छी अर्थव्यवस्थाओं में है।

उद्योग मंडल फिक्की के सालाना आम बैठक को संबोधित करते हुए गर्ग ने कहा, ‘‘हमारे ऊपर अभी भी सार्वजनिक कर्ज अधिक है...हो सकता है अगले 4-5 साल में हमें इस पर ध्यान देना होगा।’’ साख निर्धारण करने वाली एजेंसियों ने सार्वजनिक कर्ज के बढ़ते स्तर को लेकर चिंता जतायी और देश की साख उन्नत करने से दूर रहे।

उन्होंने कहा, ‘‘ज्यादातर क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां कर्ज-जीडीपी अनुपात को अधिक महत्व देते हैं। फिलहाल हम राजकोषीय घाटे पर ध्यान दे रहे हैं। लेकिन आने वाले समय में यह क्षेत्र हैं जहां हमें ध्यान देना होगा।’’ 

मुद्रास्फीति के बारे में गर्ग ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि हमने कमोबेश मैदान जीत लिया है। मैं यह नहीं कहूंगा कि अब कोई मुश्किल हो ही नहीं सकती...तेल की कीमत जैसे कुछ कारक हैं जो हमारे नियंत्रण से बाहर हैं। लेकिन मुझे लगता है कि हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि मुद्रास्फीति को लेकर चिंता कम हुई है।’’ 

मुख्य मुद्रास्फीति नवंबर में घटकर 2.33 प्रतिशत पर आ गयी जो 17 महीने का न्यूनतम स्तर है। इसका मुख्य कारण अनुकूल तुलनात्मक आधार तथा सब्जी तथा अनाज के दाम में कमी है।

सचिव ने यह भी कहा कि अगर कुछ चिंताओं को दूर कर दिया जाए तो भारत 2030 तक 10,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बन सकता है।

उन्होंने उद्योग से बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश करने को कहां जहां अभी भी काफी कमी है।

गर्ग ने कहा कि ढांचागत क्षेत्र ऐसा क्षेत्र हैं जहां और कोष की जरूरत है और यह कंपनियों को निवेश का अवसर भी उपलब्ध कराता है।

टॅग्स :भारतीय अर्थव्यवस्थावित्त मंत्री अरुण जेटलीचीन
Open in App

संबंधित खबरें

भारतदुश्मन की अब खैर नहीं, सेना को जल्दी मिलेंगे इग्ला-एस मिसाइल लॉन्चर, ड्रोन और हेलिकॉप्टर मार गिराने में माहिर

विश्वTaiwan new President: ताइवान राष्ट्रपति लाई चिंग ते ने शपथ ली, पहले भाषण में चीन से कहा-सैन्य धमकी मत दो...

कारोबारAI Jobs: दुनिया के तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक भारत, रेड हैट सीईओ मैट हिक्स ने कहा- एआई पर अगर ठीक से काम हो तो मूल्य सृजन होगा और नए उद्योग को जन्म...

विश्वकहां हैं 11वें पंचेन लामा! अमेरिका ने चीन से किया सवाल, 6 साल की उम्र हुआ था अपहरण, 27 साल से लापता हैं

विश्वपरमाणु युद्ध हुआ तो दुनिया में सिर्फ दो देशों में ही जीवन बचेगा, लगभग 5 अरब लोग मारे जाएंगे, होंगे ये भयावह प्रभाव, शोध में आया सामने

कारोबार अधिक खबरें

कारोबारRoad vehicle speed: माइक्रोवेव डॉपलर रडार उपकरण को लेकर सरकार ने मांगे सुझाव, जानें वजह

कारोबारEPF claim settlement: क्लेम सेटलमेंट नियमों में EPFO ने किया बड़ा बदलाव, अब नॉमिनी को आधार कार्ड के बिना भी मिलेगी पीएफ की रकम

कारोबारStock Market Mutual Fund: भारतीय शेयर पर विश्वास, 16 मई 2024 तक 1.3 लाख करोड़ रुपये का निवेश, देखें साल दर साल आंकड़े

कारोबारPublic Sector Banks: 15.94 प्रतिशत रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन, बैंक ऑफ महाराष्ट्र ने सभी को पीछे छोड़ा, एसबीआई, पीएनबी, बीओआई और बीओबी देखते रह गए, देखें आंकड़े

कारोबारSanjiv Puri: आईटीसी के संजीव पुरी ने 2024-25 के लिए संभाला सीआईआई अध्यक्ष का पदभार