Income Tax Action: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ टैक्सपेयर्स को अपने रडार पर लिया है। ये वो टैक्सपेयर्स हैं जिन्होंने अपने ITR में अपने विदेशी एसेट्स का खुलासा नहीं किया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कहा कि करीब 25,000 ऐसे हाई-रिस्क केस की पहचान की गई है जिनमें उन्होंने अपने इनकम टैक्स रिटर्न में विदेशी एसेट्स की डिटेल्स नहीं बताई हैं। इन पहचाने गए लोगों को 28 नवंबर से SMS और ईमेल भेजे जाएंगे, जिसमें उन्हें पेनल्टी एक्शन से बचने के लिए 31 दिसंबर, 2025 तक रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की सलाह दी जाएगी।
दिसंबर के बीच से शुरू होने वाले कैंपेन के दूसरे फेज में दूसरे केस को भी शामिल करने के लिए इसका दायरा बढ़ाया जाएगा।
जानकारी के अनुसार, पिछले साल, ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन (AEOI) सिस्टम के तहत, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने विदेशी ज्यूरिस्डिक्शन द्वारा रिपोर्ट किए गए उन टैक्सपेयर्स को मैसेज भेजे थे जिन्होंने अपने ITR में अपने विदेशी इन्वेस्टमेंट और अकाउंट्स की डिटेल्स नहीं बताई थीं। इस पहल का नतीजा यह हुआ कि कुल 24,678 टैक्सपेयर्स ने अपने रिटर्न में बदलाव किया और 29,208 करोड़ रुपये के विदेशी एसेट्स और 1,089.88 करोड़ रुपये की विदेशी इनकम का खुलासा किया।
गौरतलब है कि बड़ी कंपनियों, जिनके कर्मचारियों के पास विदेशी एसेट्स हैं, लेकिन उन्होंने उनका खुलासा नहीं किया है, को भी इस पहल में शामिल किया गया है। इंडस्ट्री ऑर्गनाइज़ेशन, ICAI और अलग-अलग एसोसिएशन से भी इस बारे में जागरूकता फैलाने की रिक्वेस्ट की गई है। डिपार्टमेंट ने एक बयान में कहा कि फाइनेंशियल ईयर 2024-25 के लिए AEOI जानकारी के एनालिसिस से कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां विदेशी एसेट्स रखे जाने की संभावना है, लेकिन असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए फाइल किए गए ITR में उनका खुलासा नहीं किया गया है।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेस (CBDT) को भारतीय निवासियों के विदेशी फाइनेंशियल एसेट्स के बारे में जानकारी इन्फॉर्मेशन-शेयरिंग सिस्टम—कॉमन रिपोर्टिंग स्टैंडर्ड (CRS) और US फॉरेन अकाउंट टैक्स कंप्लायंस एक्ट—के ज़रिए मिलती है। यह जानकारी रिटर्न में होने वाली गलतियों को पहचानने और टैक्सपेयर्स को सही कम्प्लायंस के लिए गाइड करने में मदद करती है। इस कैंपेन का मकसद ITR में फॉरेन एसेट्स (FA) और फॉरेन सोर्स इनकम (FSI) सेक्शन के तहत जानकारी का सही और पूरा डिस्क्लोजर पक्का करना है।
इनकम टैक्स एक्ट, 1961 और ब्लैक मनी एक्ट, 2015 के तहत फॉरेन एसेट्स और फॉरेन सोर्स इनकम का सही डिस्क्लोजर कानूनी तौर पर ज़रूरी है। ब्लैक मनी एक्ट के तहत, फॉरेन एसेट्स का डिस्क्लोजर न करने पर 30% टैक्स, टैक्स देने लायक टैक्स का 300% पेनल्टी और ₹10 लाख तक का फाइन लगता है।