नयी दिल्ली, छह अक्टूबर विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच स्थानीय त्योहारी मांग से दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बुधवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सीपीओ और पामोलीन सहित विभिन्न तेल-तिलहनों के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। बाकी तेल-तिलहनों के भाव पूर्वस्तर पर ही बने रहे।
मलेशिया एक्सचेंज में 2.5 प्रतिशत की मजबूती थी जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में फिलहाल 0.75 प्रतिशत का सुधार है। इस तेजी का सीधा असर स्थानीय तेल-तिलहन कीमतों पर भी दिखाई दिया और भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि ‘श्राद्ध’ खत्म होने के बाद ‘नवरात्र’ के दिनों में मांग फिर से बढ़ सकती है।
सूत्रों ने बताया कि विदेशों में श्रमिक बलों की कमी की वजह से उत्पादन कम होने से बाजार तेज हुआ है। दूसरा भारत खाद्य तेलों का प्रमुख आयातक देश है और आयात शुल्क मूल्य बाजार भाव पर तय नहीं किये जाने से विदेशी कंपनियों को फायदा मिलता है और वे अपने यहां भाव तेज कर देती हैं। सूत्रों ने कहा कि आयात शुल्क मूल्य बाजार भाव के अनुरूप ही तय किया जाना चाहिये इससे हमें राजस्व की भी प्राप्ति हो सकती है।
शिकॉगो एक्सचेंज में देर रात को चार प्रतिशत तक की तेजी आई थी और फिलहाल वह मजबूत चल रहा है। दूसरा किसान नीचे भाव में अपना माल निकालने से कतरा रहे हैं जो सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में सुधार का मुख्य कारण है।
सलोनी में सरसों का भाव मंगलवार को 9,200 रुपये था जिसे बुधवार को बढ़ाकर 9,400 रुपये क्विंटल कर दिया गया। इस तेजी की वजह से सरसों तेल-तिलहनों के भाव सुधर गये।
सूत्रों ने कहा कि मार्च-अप्रैल के महीने में सरसों से रिफाइंड बनाने की वजह से सरसों की मौजूदा किल्लत हुई है। सरकार को सरसों की रिफाइंड बनाने पर रोक लगा देनी चाहिये क्योंकि अगली फसल मार्च में आना संभव जान पड़ता है। पिछले लगभग सवा सात महीने में 67.5 लाख टन सरसों की खपत हो चुकी है और शेष अनुमानित 18.5 लाख टन सरसों से हमें लगभग साढ़े चार-पांच महीने की जरूरतों को पूरा करना है। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति को संभालने के उद्देश्य से सरकार को सरसों का कम से कम 5-10 लाख टन का स्थायी भंडार बनाकर रखना चाहिये ताकि अफरातफरी जैसी स्थिति पैदा न हो। सरसों की फसल कम से कम 4-5 साल तक खराब नहीं होती। सरसों का कोई विकल्प भी नहीं है कि उसके आयात से सरसों की कमी पूरी की जा सके।
सूत्रों कहा कि सरसों की अगली बिजाई अक्टूबर-नवंबर में होगी और इस बार पैदावार दोगुने से भी काफी अधिक होने की संभावना है।
बिनौला का भाव एक बार फिर मूंगफली के करीब पहुंचने से उपभोक्ताओं में मूंगफली की मांग बढ़ी है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता मूंगफली को अधिक तरजीह दे रहे हैं। इस वजह से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार है। उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा नीचे भाव में बिकवाली से बचने और विदेशों में तेजी के कारण सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में सुधार रहा।
मलेशिया एक्सचेंज में तेजी होने की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव भी सुधार प्रदर्शित करते बंद हुए। स्थानीय मांग निकलने से बिनौला तेल कीमतों में भी सुधार आया।
बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
सरसों तिलहन - 8,860 - 8,885 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
मूंगफली - 6,410 - 6,495 रुपये।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 14,650 रुपये।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,180 - 2,310 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 17,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,695 -2,745 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,780 - 2,890 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 15,500 - 18,000 रुपये।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,700 रुपये।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 14,350 रुपये।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 13,250
सीपीओ एक्स-कांडला- 12,000 रुपये।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 13,800 रुपये।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 13,500 रुपये।
पामोलिन एक्स- कांडला- 12,400 (बिना जीएसटी के)।
सोयाबीन दाना 5,800 - 6,100, सोयाबीन लूज 5,600 - 5,700 रुपये।
मक्का खल (सरिस्का) 3,800 रुपये।
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