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फेडरल बैंक का शुद्ध लाभ जून तिमाही में 8.4 प्रतिशत घटकर 367.29 करोड़ पर

By भाषा | Updated: July 24, 2021 00:16 IST

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नयी दिल्ली 23 जुलाई निजी क्षेत्र के फेडरल बैंक ने शुक्रवार को बताया कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में उसका कुल लाभ 8.4 प्रतिशत घटकर 367.29 करोड़ रुपये रहा।

इस दौरान बैंक को अवरुद्ध ऋण खातों के लिए नुकसान का प्रावधान ज्यादा करना पड़ा जिससे उसका लाभ घट गया। इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि में बैंक का कुल लाभ 400.77 करोड़ रुपये था।

फेडरल बैंक ने बताया कि पिछली तिमाही के आधार पर उसका लाभ घटा है। जनवरी-मार्च,2021 तिमाही में उसका शुद्ध लाभ 477.81 करोड़ रुपये था।

इससे पिछली तिमाही (जनवरी-मार्च 2021) में बैंक का लाभ 477.81 करोड़ रुपये था। उसकी तुलना में जून तिमाही का लाभ 23.1 प्रतिशत कम है।

बैंक की अप्रैल-जून, 2021 तिमाही के दौरान आय हालांकि बढ़कर 4,005.86 करोड़ रुपये रही, जो इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में 3,932.52 करोड़ रुपये थी।

बैंक की सम्पत्ति गुणवत्ता में गिरावट होने से जून,2021 तिमाही में उसकी सकल गैर-निष्पादित संपत्तियां (एनपीए) बढ़कर 3.50 प्रतिशत हो गयीं। जबकि इस पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में सकल एनपीए 2.96 प्रतिशत थी। हालांकि शुद्ध एनपीए या अवरुद्ध ऋण 1.23 प्रतिशत के स्तर पर करीब करीब स्थिर रहा। एक साल पहले शुद्ध एनपीए कर्ज के 1.22 प्रतिशत के बराबर थीं।

बैंक का चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में अटके ऋणों के लिए नुकसान का प्रावधान बढ़कर 641.83 करोड़ रुपये हो गया, जो इससे पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 394.62 करोड़ रुपये था। इससे पिछली तिमाही में एनपीए के लिए प्रावधान 242.33 करोड़ रुपये रहा।

बैंक ने कहा कि निदेशक मंडल ने साथ ही इंटरनेशनल फाइनेंस कॉरपोरेशन (आईएफसी) और उससे संबंधित संस्थाओं को 916.25 करोड़ रुपये में 87.39 रुपये प्रति शेयर के निर्गम मूल्य पर 10,48,46,394 इक्विटी शेयर के आवंटन को मंजूरी दी।

बैंक का शेयर शुक्रवार को बीएसई में 1.36 फीसदी की बढ़त के साथ 85.40 रुपये प्रति शेयर पर चल रहा था।

फेडरल बैंक के प्रबंध निदेशक एवं सीईओ श्याम श्रीनिवासन ने कहा कि बैंक ने गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) पर 65 प्रतिशत का प्रावधान रखा रहा है जबकि उसको लेखांकीय मानदंडों के अंतर्गत इससे कम प्रावधान करने का मौका था। इस नीति के चलते बैंक को एनपीए को लेकर 460 करोड़ रुपये का अधिक प्रावधान करना पड़ा।

उन्होंने लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए कर्जदारों को आरबीआई द्वारा प्रस्तुत विकल्प के तहत अपने पुराने कर्जो का पुनर्गठन करने की (उसको नए ऋण से बदलने) की सलाह भी दी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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