अर्थव्यवस्था में आने लगा सुधार, संगठित क्षेत्र साल अंत तक कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा: मोंटेक

By भाषा | Updated: September 23, 2021 22:55 IST2021-09-23T22:55:14+5:302021-09-23T22:55:14+5:30

Economy starts improving, organized sector will reach pre-covid level by the end of the year: Montek | अर्थव्यवस्था में आने लगा सुधार, संगठित क्षेत्र साल अंत तक कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा: मोंटेक

अर्थव्यवस्था में आने लगा सुधार, संगठित क्षेत्र साल अंत तक कोविड-पूर्व स्तर पर पहुंच जाएगा: मोंटेक

नयी दिल्ली, 23 सितंबर जाने-माने अर्थशास्त्री और पूर्ववर्ती योजना आयोग के उपाध्यक्ष रहे मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अब निचले स्तर से धीरे-धीरे ऊपर आ रही है और संगठित क्षेत्र इस साल के अंत तक महामारी-पूर्व स्थिति में आ सकता है।

अहलूवालिया ने ‘ऑनलाइन’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि वह पुरानी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाने (राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन) की योजना के पक्ष में हैं। इससे बिजली, सड़क और रेलवे समेत विभिन्न क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा संपत्ति का बेहतर उपयोग होगा और सही मूल्य सामने आएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘एक अच्छी बात यह है कि अर्थव्यवस्था अब जितनी नीचे जाने थी उस स्तर से उबरने लगी है और धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। संगठित क्षेत्र इस साल के अंत तक महामारी-पूर्व स्थिति में आ जाएगा। यह विभिन्न क्षेत्रों, सेवा क्षेत्रों आदि के लिये अलग-अलग हो सकता है।’’

अहलूवालिया ने कहा कि अगर संगठित क्षेत्र में तेजी लौटती है, तब असंगठित क्षेत्र भी इसके रास्ते पर आएगा। जब निजी क्षेत्र में निवेश बढ़ता है, बेहतर आर्थिक पुनरूद्धार होता है।

उल्लेखनीय है कि कमजोर तुलनात्मक आधार और विनिर्माण तथा सेवा क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में रिकार्ड 20.1 प्रतिशत रही। कोविड-महामारी की दूसरी लहर के बावजूद उच्च वृद्धि दर हासिल की जा सकी है।

सरकार के बुनियादी ढांचा को लेकर हाल के कदम के बारे में अहलूवालिया ने कहा, ‘‘मैं एनएमपी (राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन) के पक्ष में हूं। अगर इसे सही तरीके से लागू किया गया, यह अच्छी चीज है।’’

पिछले महीने, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 6 लाख रुपये की राष्ट्रीय मौद्रिकरण पाइपलाइन की घोषणा की। इसका उद्देश्य सरकार की पुरानी संपत्तियों को बाजार पर चढ़ाकर ढांचागत क्षेत्र की नयी परियोजनाओं के लिये वित्त जुटाना है।

कृषि क्षेत्र में सुधारों के बारे में उन्होंने कहा कि कृषि का आधुनिकीकरण वांछनीय है।

अहलूवालिया ने कहा, ‘‘लेकिन जिस तरीके से तीन कृषि कानूनों को क्रियान्वित किया गया, इससे किसानों के बीच संदेह पैदा हुआ है।’’

उल्लेखनीय है कि मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सैकड़ों किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमा पर डेरा जमाए हुए हैं। वे तीनों कृषि कानून को रद्द करने की मांग कर रहे हैं।

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