कोलकाता, 13 जुलाई वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अधीन आने वाला व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) ने बांग्लादेश और नेपाल से जूट उत्पादों के आयात पर लगाये जाने वाले शुल्क की अवधि समाप्त होने से जुड़े उपबंध (सनसेट उपबंध) की जांच के आदेश दिये हैं। इन दोनों देशों से आयातित जूट उत्पादों पर शुल्क लगाने की अवधि अगले साल समाप्त हो रही है। इंडियन जूट मिल एसोसएिशन (आईजेएमए) ने मंगलवार को यह कहा।
जूट उद्योग की शिकायत पर यह कदम उठाया गया है।
आईजेएमए बांग्लादेश और नेपाल से लगातार अवैध तरीके से जूट उत्पादों के आयात और डंपिंग किये जाने की शिकायता करता रहा है। संगठन का आरोप है कि दोनों देश साफ्टा (दक्षिण एशियाई मुक्त व्यापार क्षेत्र) संधि का दुरूपयोग कर भारतीय किसानों और जूट मिलों के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
‘पटाक्षेप’ (निश्चित अवधि के बाद समाप्त होने वाला) उपबंध के तहत दोनों देशों से आयातित जूट उत्पादों पर लगाया जाने वाला शुल्क जनवरी 2022 तक प्रभाव में है। इसका मतलब है कि जबतक भारत सरकार शुल्क आगे भी लगाये जाने का प्रावधान नहीं करती, यह व्यवस्था समाप्त हो जाएगी। इससे बांग्लादेश के जूट निर्यातकों को लाभ होगा क्योंकि अगले साल फरवरी से रक्षोपाय शुल्क नहीं होगा।
आईजेएमए के अध्यक्ष राघवेंद्र गुप्ता ने कहा कि डीजीटीआर ने बांग्लादेश से जूट उत्पादों के निर्यात पर भारत द्वारा लगाए गए शुल्क अवधि समाप्त होने से जुड़े उपंबंध की जांच शुरू की है।
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